89 पद में से 60 पद रिक्त
आंकड़े की बात करें तो यहां सभी पदों को मिलाकर कुल 89 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से मात्र 29 पद ही भरे हैं जबकि 60 पद रिक्त हंै। यही नहीं यहां प्राचार्य के पद भी रिक्त हैं। जबकि अब कॉलेज में प्रवेश की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। जबकि ये कॉलेज पूरे जिलेभर के कॉलेजों का लीड कॉलेज है।
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स्टाफ की कमी, कॉलेज में भीड़ तो संभाल नहीं पाते
लीड कॉलेज में स्टाफ की कमी है। यही वज़ह है कि अगर ज्यादा भीड़ हुई तो भीड़ को संभालना मुश्किल हो जाता है। इससे कई बार अव्यवस्था का आलम हो जाता है।
प्राध्यापक व सहायक प्राध्यापक के 49 में से मात्र 17 पदों पर ही नियमित प्राध्यापक
लीड पीजी कॉलेज में प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापकों व प्राध्यापक के कुल 49 पद स्वीकृत हैं। इन 49 पदों में से मात्र 17 पदों पर ही नियमित प्राध्यापक हैं। शेष 32 पद पर पढ़ाई की जिम्मेदारी अतिथि प्राध्यापक संभाल रहे हैं। शासन की ओर से हर साल लीड कॉलेज में प्राध्यापकों सहित विभिन्न समस्याओं की जानकारी मांगी जाती है। शासन द्वारा सिर्फ जानकारी मांग कर खानापूर्ति कर ली जाती है। समस्या जस की तस बनी रहती है। इस कॉलेज के साथ भी ऐसा ही हो रहा है। प्राध्यापक के 8 पद स्वीकृत हैं, जिसमें सभी आठ पद खाली हैं।
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चतुर्थ श्रेणी में 20 में से 18 पद खाली, प्राचार्य का पद भी प्रभार के भरोसे
इस लीड कॉलेज में भृत्य के तीन पद स्वीकृत हैं और दो पद खाली हैं। चतुर्थ श्रेणी में कुल 20 पद स्वीकृत हैं, जिसमें 18 पद खाली है। तृतीय श्रेणी में कुल 16 पद हैं जिसमें 7 पद भरे हैं व 9 पद खाली हैं। यहां सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि प्राध्यापकों की बात तो छोड़ दें, प्राचार्य का पद भी प्रभारी के भरोसे चल रहा है।
20 कॉलेज का भार इस लीड कॉलेज पर
बालोद पीजी कॉलेज जिले के 16 शासकीय और 4 निजी कॉलेज का लीड कॉलेज है। इस वजह से इस कालेज पर जिलेभर के कॉलेजों का दबाव रहता है। स्टाफ की कमी के कारण कॉलेज में पढ़ाई के अलावा अन्य कामों पर भी हमेशा दबाव बना रहता है। जानकारी के मुताबिक शासन की ओर से साल में दो बार हर छह महीने में प्रदेशभर के कॉलेजों की जानकारी मंगाई जाती है कि क्या-क्या समस्या और परेशानी है। इसके बाद शासन की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जाता।
आंदोलन का भी नहीं होता असर
कॉलेज खुलने के बाद छात्र संगठनों की ओर से प्राध्यापकों की भर्ती की मांग व विभिन्न समस्याओं का निराकरण कराने आंदोलन किया जाता है। कॉलेज में धरना देकर विरोध-प्रदर्शन भी किए जाते हैं किंतु नतीजा कुछ नहीं निकलता। हर बार सिर्फ आश्वासन देकर छात्र संगठनों का शांत कर दिया जाता है। समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं हो पाता। छात्र संगठनों को नई सरकार से उम्मीद है कि जल्द ही रिक्त पदों पर भर्ती की जाएगी।
शासन स्तर पर कार्रवाई
लीड कॉलेज बालोद के प्रभारी प्राचार्य जेके खलको ने कहा लीड कॉलेज में जो भी समस्या है, उसकी जानकारी शासन द्वारा समय-समय पर मंगाई जाती है। कॉलेज में जो भी कमी और मांग है, उसकी जानकारी शासन को दी जाती है। जानकारी के बाद शासन स्तर पर कार्यवाही होती है।