बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय। जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय॥ इसका मतलब है कि जब मनुष्य बुराई खोजने लगा तो उसे खुद से बुरा कोई नहीं मिला।
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय। माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय॥ संत कबीर की लिखी ये पंक्ति छात्रों के लिए मोटिवेशन का काम करती है। इसका अर्थ है धैर्य रखने से ही सभी काम पूरे होते हैं। कबीर कहते हैं कि माली किसी पेड़ को सौ घड़े पानी से सींचने लगे तब भी फल ऋतु आने पर ही लगेंगे।
UGC NET: फायदे जान चौंक जाएंगे!…एक बार कर लिया क्वालीफाई तो आपकी निकल पड़ेगी बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर।। कबीर के इस दोहे का अर्थ है कि जिस प्रकार खजूर के पेड़ की उंचाई के कारण न वो छाया दे सकता है और न उसके फल को आसानी से तोड़ा जा सकता है। उसी प्रकार व्यक्ति कितना भी बड़ा हो जाए यदि उसके भीतर विनम्रता नहीं है और किसी की मदद नहीं कर सकता तो उसका जीवन बेकार है।
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब पल में परलय होएगी, बहुरी करोगे कब कबीर के इस दोहे का अर्थ है कि कल का काम आज ही खत्म करें और आज का काम अभी ही खत्म करें। ऐसा न हो कि प्रलय आ जाए और सब खत्म हो जाए और आप कुछ न कर पाएं।