कम सीट के कारण छात्र चुनते हैं विदेश का कॉलेज (MBBS From Abroad)
बैचलर ऑफ मेडिसिन और बैचलर ऑफ साइंस की ये डिग्री डॉक्टर बनने की तरफ पहला कदम है। इसे विदेश से भी पूरा किया जा सकता है। भारत में हर साल प्रवेश परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या और सरकारी व प्राइवेट कॉलेजों में उपलब्ध सीटों की संख्या में काफी अंतर होता है। ऐसे में कई छात्र हैं जो ठीक-ठाक मार्क्स रहने के बाद भी भारत के कॉलेज से पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। ऐसे छात्र विदेशों की डिग्री लेते हैं। हालांकि, कई बार विदेश से पढ़ने का कारण कुछ और भी हो सकता है। लेकिन आम तौर पर यही कारण होता है। अन्य वजह ये हैं
- कम खर्च
- अच्छी एजुकेशनल फैसिलिटीज
- रिसर्च और प्रैक्टिस का बढ़िया माहौल
- बढ़िया एजुकेशन और अच्छा नेटवर्क
भारत में कितनी सीटें हैं (MBBS Seats In India)
हर साल नीट परीक्षा में 20 से 24 लाख तक बच्चे बैठते हैं और चयन 8 से 10 लाख तक का होता है, ये एक औसत संख्या है। ये सभी एमबीबीएस नहीं करते पर जो करना चाहते हैं, उनके लिए सीटों की अनुमानित व्यवस्था इस प्रकार है। इस बार करीब 22 लाख छात्रों ने नीट यूजी परीक्षा (NEET UG Exam) दी थी। करीब 349 सरकारी कॉलेजों में 50 हजार के करीब सीटे हैं, 21 एम्स में 21 हजार के आसपास सीटे हैं, प्राइवेट मेडिकल कॉलेज 280 के करीब हैं जिनमें 45 हजार के आसपास सीटें हैं। कुल मिलाकर 1 लाख 10 हजार सीटों के लिए हर साल 20 से 24 लाख बच्चे कंपटीशन करते हैं।
इन देशों से करें पढ़ाई (MBBS From Abroad)
- नेपाल
- पोलैंड
- कजाकिस्तान
- रूस
- यूक्रेन