दूसरी तरफ कुछ छात्र ऐसे हैं जो इस मुहिम को सपोर्ट करने के बदले ने स्टूडेंट एक्टिविस्टों से अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने की नसीहत दी है। इसके बावजूद छात्रों के समूहों ने बैचमेट्स की सहायता के लिए अपने अभियान को जारी रखने का फैसला लिया है। मुहिम से जुड़े छात्रों को लगता है कि क्राउडफंडिंग के जरिए लोग कम आय वाले बैचमेट्स की सहायता के लिए आगे आएंगे।
ये है पढ़ाई न छोड़ने की एकमात्र वजह इस अभियान को लेकर राजस्थान के टोंक के पीपलू गांव निवासी ललित कुमार सैनी का कहना है कि उनके लिए हायर एजुकेशन को बीच में न छोड़ने की एकमात्र वजह क्राउडफंडिंग अभियान से अपेक्षित धन का वादा है, जिसे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ( JNU ) में उनके बैचमेट्स द्वारा शुरू किया गया था। सैनी जेएनयू एसआईएस एमए के छात्र हैं। उनका कहना है कि क्राउडफंड के जरिए 7 हजार रुपए मिले हैं। पांच हजार रुपए और मिलने की उम्मीद है। इन पैसों से सेकेंड हैंड लैपटॉप हासिल करने में जुटा हूं। ताकि उसे ठीक कराकर अपनी पढ़ाई जारी रख सकूं। सैनी का कहना है कि पैसों की कमी की वजह से अभी तक आनलाइन कक्षाओं में शामिल नहीं हो पाया हूं। बेहतर तो यह होता कि जेएनयू प्रशासन कम आय वाले छात्रों को हॉस्टल में बुलाते और आनलाइन शिक्षा की सुविधा मुहैया कराते। लेकिन यूनिवर्सिटी को लगता है कि यहां पर पढ़ने वाले सभी छात्र एक ही आय वर्ग से हैं।
हम भाग्यशाली हैं 2016 में अपने पिता को खोने वाले झारखंड के एक अन्य जेएनयू छात्र अमित रंजन आलोक को क्राउडफंडिंग अभियान के जरिए 8 हजार रुपए मिले हैं। वह और अधिक धन आने की उम्मीद कर रहें हैं। ताकि वह एक टैबलेट खरीद सकें। अमित रंजन का कहना है कि ऑनलाइन शिक्षा ने हम पर अप्रत्याशित खर्चे डाले हैं। हम भाग्यशाली हैं कि बैच के साथी हमारी मदद करने की मुहिम को चला रहे हैं।
5 लाख रुपए जुटाने की थी योजना जेएनयू सीपीएस ने जुलाई के मध्य में इस मुहिम की शुरुआत की थी। सीपीएस ने इस अभियान के जरिए अपने बैचमेट्स के लिए 5 लाख रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन अभी तक 30 हजार रुपए क्राउडफंडिंग के जरिए मिल पाए हैं। सीपीएस से श्वेता सिंह ने कहा कि हमने बहुत कम राशि जुटाई है। लेकिन हम अपने बैचमेट्स के लए अपना अभियान जारी रखेंगे। हमारी प्राथमिकता डेटा पैक के लिए साथियों को फंड मुहैया कराना है। 10 छात्र डेटा पैक के लिए मदद मांग रहे हैं और 14 को सीपीएस से डिवाइस की मांग की है।
बता दें कि जेएनयू के विभिन्न केंद्रों के छात्रों द्वारा जून-जुलाई में क्राउडफंडिंग अभियान शुरू किया गया था। इस मुहिम को सपोर्ट करने के लिए लोग केटो या ऑनलाइन भुगतान मोड के माध्यम से योगदान कर सकते हैं। विभिन्न अभियानों ने अलग-अलग लक्ष्य निर्धारित किए थे, जिन्हें वे अगस्त में पूरा नहीं कर सके। इसलिए समय सीमा को बढ़ाकर एक सितंबर 2021 कर दिया गया है। इस अभियान के मिले कुछ पैसे जरूरतमंद छात्रों को मुहैया कराए गए हैं। ताकि वे आनलाइन के जरिए क्लास अटेंड करने के लिए छात्र डेटा पैक खरीद सकें।