IPS Prashant Kumar: बिहार जन्मभूमि तो यूपी कर्मभूमि, 4 बार मिल चुका है वीरता पुरस्कार, कुछ ऐसी कहानी है इस राज्य के ‘सिंघम’ की
IPS Prashant Kumar Success Story: प्रशांत कुमार न सिर्फ अपराधियों को हैंडल करने के लिए जाने जाते हैं बल्कि वे अपनी शिक्षा के कारण भी चर्चा में रहते हैं। उनके पास तीन-तीन मास्टर्स की डिग्रियां हैं।
IPS Prashant Kumar Success Story: प्रशांत कुमार उन आईपीएस अधिकारियों में से हैं, जो हमेशा चर्चा में रहे हैं। वे अपराधियों को कंट्रोल करने के अपने खास अनुभव के लिए जाने जाते हैं। फिलहाल प्रशांत कुमार उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग (UP Police Department) में DGP के पद पर अपनी सेवा दे रहे हैं। 1990 बैचे के आईपीएस अधिकारी प्रशांत कुमार की गिनती तेज-तर्रार अफसरों में होती है।
कहा जाता है कि उन्हें न सिर्फ अपराध और कानून संभालना आता है बल्कि वे पढ़ाई में भी किसी से पीछे नहीं रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि आईपीएस प्रशांत कुमार (IPS Prashant Kumar) के पास तीन मास्टर्स की डिग्रियां हैं। आइए, जानते हैं वे कहां के रहने वाले हैं और कितने पढ़े लिखे हैं।
प्रशांत कुमार का जन्म बिहार के सीवान जिले में हुआ था। 1990 में वे IPS कैडर के लिए चुने गए। सबसे पहले उन्हें तमिलनाडु कैडर मिला। कुछ निजी कारणों से उन्होंने अपना तबादला यूपी में करा लिया। वर्ष 1994 में यूपी कैडर के आईपीएस बन गए और तब से आजतक वे यूपी में ही सेवा दे रहे हैं। एक तरह से कहें तो बिहार उनकी जन्मभूमि और यूपी उनकी कर्मभूमि है।
तीन-तीन मास्टर्स डिग्री हासिल की है (IPS Prashant Kumar Education Qualification)
बात करें डिग्रियां की तो उन्होंने प्लाइड जूलॉजी में एमएससी किया है, डिजास्टर मैनेजमेंट में एमबीए किया है, और डिफेंस एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज में एमफिल की डिग्री हासिल की है। उनकी डिग्रियों की लिस्ट जानकर आप समझ सकते हैं उनका पढ़ाई-लिखाई को लेकर क्या रूझान रहा है।
चार बार जीत चुके हैं पुरस्कार (Success Story)
आईपीएस प्रशांत कुमार अब तक चार वीरता पुरस्कार जीत चुके हैं। उन्हें वर्ष 2020, 2021, 2022, 2023 में लगातार चार बार राष्ट्रपति का पुलिस मेडल मिल चुका है। प्रशांत कुमार जब मेरठ जोन के ADG थे तब उन्होंने अपहरण का हाई प्रोफाइल केस संभाला था। ये केस था, दिल्ली के मेट्रो हॉस्पिटल के एक डॉक्टर डॉ. श्रीकांत गौड़ का। प्रशांत कुमार ने अपनी सूझबूझ से न सिर्फ सकुशल डॉ. श्रीकांत को खोज निकाला बल्कि अपहरणकर्ताओं को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। इस केस की आज भी चर्चा होती है।
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