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IIT Madras ने विकसित किया AI बेस्ड गणितीय मॉडल, कैंसर कारक म्यूटेशन का लगाएगा पता

 
 
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास के रिसर्चर्स ने कोशिकाओं में कैंसर पैदा करने वाले परिवर्तनों की पहचान करने के लिए एक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस-आधारित गणितीय मॉडल विकसित किया है। इससे कैंसर कारक म्यूटेशन का पता लगाने में मदद मिलेगी।

Jul 12, 2021 / 11:29 pm

Dhirendra

iit madras
नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास ( IIT Madras ) के रिसर्चर्स ने कोशिकाओं में कैंसर पैदा करने वाले परिवर्तनों की पहचान करने के लिए एक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ( AI ) आधारित गणितीय मॉडल विकसित करने में सफलता हासिल की है। यह एल्गोरिथ्म कैंसर की प्रगति के लिए जिम्मेदार आनुवंशिक परिवर्तनों को दर्शाने के लिए डीएनए संरचनाओं का अध्ययन करने में सक्षम है, जो कैंसर पैदा करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। इस बात का दावा एक इंटरनेशनल कैंसर जर्नल में प्रकाशित लेख में किया गया है।
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आईआईटी मद्रास के रॉबर्ट बॉश सेंटर फॉर डेटा साइंस एंड एआई ( RBCDSAI) के प्रमुख प्रोफेसर बी रवींद्रन ने कहा है कि कैंसर शोधकर्ताओं द्वारा अनुभव की जाने वाली प्रमुख चुनौतियों में से एक ड्राइवर म्यूटेशन है, जिसकी अपेक्षाकृत कम संख्या और ऐसे पैसेंजर म्यूटेशन की बड़ी संख्या के बीच अंतर शामिल है। हालांकि, कैंसर को बढ़ाने की दिशा में इससे कोई प्रभाव नहीं पड़ता।शोधकर्ताओं ने इस समस्या को एक अलग नजरिए से देखते हुए डीएनए अनुक्रमों में पैटर्न की खोज करने का फैसला लिया। इसके लिए एआई तकनीकों का उपयोग करते हुए रिसर्चर्स ने एक न्यू प्रिडिक्शन एल्गोरिथ्म, एनबी ड्राइवर विकसित की। कई ओपन-सोर्स कैंसर म्यूटेशन डेटासेट पर इसके प्रदर्शन का परीक्षण किया।
प्रोफेसर बी रवींद्रन के मुताबिक हमारा मॉडल 89 प्रतिशत की सटीकता के साथ अच्छी तरह से अध्ययन किए गए ड्राइवरों और कैंसर जीन से पैसेंजर म्यूटेशन के बीच अंतर कर सकता है। एनबी ड्राइवर और तीन अन्य आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले ड्राइवर भविष्यवाणी एल्गोरिद्म के पूर्वानुमानों के संयोजन से 95 प्रतिशत की सटीकता प्राप्त हुई जो मौजूदा मॉडलों से काफी बेहतर है।
इस बारे में आईआईटी मद्रास के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर कार्तिक रमन ने बताया कि एनबी ड्राइवर ग्लियोब्लास्टोमा मल्टीफॉर्म मस्तिष्क या रीढ़ को प्रभावित करने वाले विशेष रूप से आक्रामक प्रकार के कैंसर से पीड़ित रोगियों में से 85 प्रतिशत दुर्लभ ड्राइवर म्यूटेशन की सटीक पहचान कर सकता है।

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