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IIM Indore: आईएमएम इंदौर ने जर्मन बॉडी से मिलाया हाथ, भारत पर कोरोना वायरस के असर का होगा अध्ययन

IIM Indore: आईआईएम इंदौर ने कोरोना वायरस का भारतीय व्यवस्था पर असर को लेकर जर्मन संघीय आर्थिक सहयोग और विकास मंत्रालय ( बीएमजेड ) के डॉयचे गेसेलशाफ्ट फर इंटरनेशनेल जुसामेनरबीट जीएमबीएच (जीआईजेड) के साथ हाथ मिलाया है।

May 26, 2021 / 04:37 pm

Dhirendra

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IIM Indore: भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर ( IIM Indore ) ने कोरोना महामारी के भारत पर प्रभाव को समझने के लिए जर्मनी के एक प्रभावी निकाय से हाथ मिलाया है। इसका मकसद भारतीय औद्योगिक प्रतिष्ठानों, उनके कर्मचारियों और कार्य संस्कृति पर असर का अध्ययन करना है। इस बात का पता लगाने के लिए आईएमएम इंदौर ने जर्मन संघीय आर्थिक सहयोग और विकास मंत्रालय ( बीएमजेड ) के डॉयचे गेसेलशाफ्ट फर इंटरनेशनेल जुसामेनरबीट जीएमबीएच ( जीआईजेड ) के साथ हाथ मिलाया है। आईआईएम इंदौर को कोरोना महामारी ( Coronavirus Pandemic ) के असर पर अनुसंधान के लिए जर्मनी की इस निकाय से अनुसंधान के लिए लाखों डॉलर का ग्रांट भी मिला है।
इस परियोजना के तहत डॉयचे गेसेलशाफ्ट फर इंटरनेशनेल जुसामेनरबीट जीएमबीएच (जीआईजेड) आईआईएम इंदौर ( IIM Indore ) मिलकर विभिन्न व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के सामने आने वाली चुनौतियों और इससे निपटने के उनके तरीकों का दस्तावेजीकरण करने पर मिलकर काम करेंगे। दस्तावेजीकरण गहन शोध पर आधारित होगा और यह कोरोनाम महामारी से संंबंधित विभिन्न पहलुओं को कवर करेगा।
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पुस्तक और शोध पत्र का भी होगा प्रकाशन

कोरोना महामारी और उसके प्रभाव पर अनुसंधान को लेकर प्रस्तावित पुस्तक में औद्योगिक क्षेत्र के सामने इससे उत्पन्न चुनौतियों और समाधान को लेकर किए गए प्रयासों को शामिल किया जाएगा। जबकि शोध पत्रों में औद्योगिक क्षेत्र में कर्मचारी अनुभव का विवरण शामिल होगा। यह शोध प्रबंधन और सरकारी अधिकारियों के साक्षात्कार पर आधारित होगा।
भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर ( Indian Institute of Management in Indore ) के निदेशक प्रो हिमांशु राय ने कहा है कि समग्र शोध परियोजना डेटा संग्रह और विश्लेषण के गुणात्मक और मात्रात्मक तरीकों को एकीकृत करते हुए मिश्रित-विधि दृष्टिकोण पर आधारित होगा। इस शोध के परिणाम भारत के भीतर क्षेत्रीय महामारी की तैयारी के लिए क्रॉस-सेक्टरल लर्निंग और महामारी की तैयारी और स्वास्थ्य नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। वहीं भारत-जर्मन सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम के निदेशक डॉ निशांत जैन ने कहा है कि इस साझेदारी से ऐसी नीतियों को बल मिलेगा जो न केवल नीति निर्माताओं के लिए बल्कि सभी के लिए उपयोगी साबित होगा।

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