400 वर्षों से अधिक समय से पूरी दुनिया में जलाई शिक्षा की ज्योत (Bihar University)
विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय की मांग यहां के स्थानीय लोग कब से उठा रहे थे। 400 वर्षों से अधिक समय तक पूरी दुनिया में इस विश्वविद्यालय ने शिक्षा का अलख जगाया है। इस विश्वविद्यालय को मुस्लिम आक्रांता बख्तियार खिलजी ने 12वीं सदी में नालंदा विश्वविद्यालय की तरह ही विध्वंस कर दिया था। अब इसके दिन फिर से सुधरने वाले हैं। बिहार मंत्रिमंडल ने कहलगांव में प्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए जमीन अधिग्रहण के निमित्त 87.99 करोड़ की स्वीकृति प्रदान की है। बताया जाता है कि इस विश्वविद्यालय के लिए मलकपुर मौजा अंतर्गत कुल 88 एकड़ 99 डिसमिल भूमि चिह्नित की गई है, जिसमें सरकारी भूमि का कुल रकबा लगभग 4 एकड़ 53 डिसमिल और आंतिचक मौजा अंतर्गत कुल 116 एकड़ 5 डिसमिल भूमि चिह्नित की गई है, जिसमें सरकारी भूमि का कुल रकबा लगभग 23 एकड़ 8 डिसमिल है।
केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने का काम आगे बढ़ा (Bihar University)
स्थानीय सांसद अजय मंडल कहते हैं कि अब केंद्रीय विश्वविद्यालय का रास्ता साफ हो गया है और तेजी से काम आगे बढ़ेगा। 30 जून को ही दिल्ली में मुख्यमंत्री से सांसद ने इसके लिए अनुरोध किया था। इसके बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान से भी मिले थे।भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि शिक्षा के प्राचीन केंद्र विक्रमशिला विश्वविद्यालय को एनडीए सरकार गौरवशाली बनाएगी। विश्वप्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय के तर्ज पर विक्रमशिला विश्वविद्यालय का पुनरोद्धार किया जाएगा। विक्रमशिला भारत ही नहीं दक्षिण-पूर्व एशिया सहित दुनिया का एक प्रसिद्ध शिक्षा-केंद्र (विश्वविद्यालय) था। नालंदा विश्वविद्यालय और विक्रमशिला दोनों पाल राजवंश के राज्यकाल में शिक्षा के लिए विश्व प्रसिद्ध थे। कहा जाता है कि यहां लगभग 160 विहार थे, जिनमें अनेक विशाल प्रकोष्ठ बने हुए थे। विश्वविद्यालय में सौ शिक्षकों की व्यवस्था थी। नालंदा की भांति विक्रमशिला विश्वविद्यालय भी बौद्ध संसार में सर्वत्र सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। इसके प्राचीन गौरव को पुर्नस्थापित करने की प्रक्रिया शुरू होने से स्थानीय लोगों में खुशी है।