सोमवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुई गड़बडिय़ों का मुद्दा संसद में उठाया गया। लोकसभा में हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने यह मुद्दा उठाते हुए पूछा, क्या इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बड़े पैमाने पर अनियमिताओं और छात्रों द्वारा फैक्लटी सदस्यों के खिलाफ यौन उत्पीडऩ की रिपोर्ट है? ओवैसी ने मानव संसाधन विकास मंत्री से पूछा कि यदि विश्वविद्यालय में छात्राओं का उत्पीडऩ हुआ है तो यौन उत्पीडऩ के दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है?
जवाब में केंद्रीय मानव विकास संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, राष्ट्रीय महिला आयोग से महिलाओं के छात्रावास में खाने की गुणवत्ता, महिला छात्रावासों में असुरक्षित वातावरण, कुलपति के विरुद्ध भ्रष्टाचार जैसी शिकायतों से संबंधित अंतरिम रिपोर्ट प्राप्त हुई है। ऐसे गंभीर आरोपों के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति ने बीते 31 दिसंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। केंद्र सरकार ने तीन दिन बाद 3 जनवरी को यह इस्तीफा स्वीकार कर लिया। हालांकि केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल ने कहा इलाहाबाद के कुलपति ने अपने निजी कारणों से कुलपति के पद से त्यागपत्र दिया था।
मंत्री ने लोकसभा में इस पूरे विषय पर सरकार की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, पूर्व कुलपति के खिलाफ कदाचार के मामले में आई अंतरिम रिपोर्ट में राष्ट्रीय महिला आयोग (National women Commission) द्वारा की गई सिफारिशों, वित्तीय, शैक्षिक और प्रशासनिक अनियमितताओं के आरोपों की जांच करवाने का निर्णय लिया गया है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इन सभी आरोपों की गहन जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया जा गया है। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुई अनियमितताओं के आरोपों पर कहा, केंद्र सरकार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कार्यों के प्रबंधन में अनियमिताओं की कुछ शिकायतें मिली हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय को विभिन्न आरोपों पर अपना पक्ष रखने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।