वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल इंंडिया के पीआर मैनेजिंग डायरेक्टर सोमासुंदरम के अनुसार सीवाई 19 सोने की मांग के लिए एक एनीमिक वर्ष था। उन्होंने कहा कि अगली तिमाही पर कई तरह की घटनाएं हुई हैं। अर्थव्यवस्था खुल रही है और हमें नहीं पता है कि नौकरी के नुकसान और वेतन में कटौती के साथ शादी के मौसम की पृष्ठभूमि में मांग क्या आकार लेगी। हालांकि, अगर कुछ कीमतें 50,000 रुपए प्रति 10 ग्राम से कम होती हैं तो सोने के कुछ खरीदार देखे जा सकते हैं।
यह भी पढ़ेंः- डोनाल्ड ट्रंप जीते या हारें सोने की कीमत में आएगी तेजी, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की ओर से जारी किए आंकड़े
– कैलेंडर वर्ष 1995 भारत में सालाना सोने की 462 टन की सबसे खराब मांग थी।
– 1996 में 511 टन, 2002 में 547 टन और 2009 में 642 टन के साथ इसमें सुधार देखने को मिला।
– वैश्विक स्तर पर सोने की 2,972.1 टन सालाना मांग 2019 में इसी अवधि से 10 फीसदी कम है।
– कैलेंडर वर्ष की तीसरी तिमाही में 892.3 टन है, जोकि 19 फीसदी कम है।
– कोरोना वायरस की वजह से 2009 की तीसरी तिमाही के बाद गोल्ड डिमांड के सबसे कम आंकड़े देखने को मिले हैं।
– भारत में कैलेंडर वर्ष 20 की तीसरी तिमाही में सोने की मांग 86.6 टन देखने को मिली तो 2019 की समान अविध के मुकाबले 30 फीसदी कम 123.9 टन थी।
– समीक्षाधीन अवधि के दौरान गोल्ड डिमांड वैल्यू 39,510 करोड़ रुपए देखी जो बीते साल की समान अवधि में 41,300 करोड़ रुपए देखने को मिली।
– ग्लोबल लेवल पर गोल्ड ज्वेलरी की मांग कैलेंडर वर्ष की तीसरी तिमाही में 29 फीसदी घटकर 333 टन रह गई है।
– अगर भारत की बात करें तो इसी अवधि में 48 फीसदी की गिरावट के साथ 52.8 टन देखने को मिली है।
– ईयर टू डेट ज्वेलरी की मांग सिर्फ 904 टन की है, जो डब्ल्यूजीसी के डाटा सीरीज़ में सबसे कम मार्जिन है। यह 2009 की समान अवधि की तुलना में 30 फीसदी कम है।
– डब्ल्यूजी के अनुसार जनवरी से अंत तक सितंबर के बीच अमरीकी डॉलर में सोने की कीमतों में 25 फीसदी की छलांग लगी।
– भारत में सोने की कीमत 50,000 रुपए प्रति दस ग्राम को पार कर गया जो कि एक मील का पत्थर भी है।