नई दिल्ली । मालभाड़े में लगातार हो रही कमी के कारण संघर्ष कर रहे रेलवे ने रेवेन्यू बढ़ाने का नया मॉडल अख्तियार किया है। मंगलवार को रेलवे बोर्ड ने डिस्टेंस स्लैब्स में बदलाव किए, जिससे कोल टैरिफ बढ़ जाएगा। इस फैसले के बाद मालभाड़े में 19 फीसदी तक का इजाफा हो जाएगा। रेलवे के इस कदम से लगातार बढ़ रही महंगाई को और हवा मिलेगी। इस निर्णय से पहले से मुश्किलों से जूझ रहीं सीमेंट और बिजली कंपनियों के प्रॉफिट मार्जिन में और कमी आएगी। गौरतलब है कि इस साल जुलाई में भी मालभाड़े से होने वाली रेलवे की आय में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 7.74 फीसदी की कमी आई, जिससे उसकी चिंता बढ़ गई है।
बढ़ेंगी कीमतें
मालभाड़े में इस वृद्धि का सीधा असर महंगाई पर होगा। हाल के महीनों में महंगाई दर में लगातार इजाफा हो रहा है। जबकि खुदरा महंगाई दर लगातार बढ़ रही है। पिछले साल की समान अवधि की तुलना में जुलाई में इसमें 6.07 फीसदी का इजाफा हुआ, जबकि जून में यह 5.77 फीसदी थी।
सड़क परिवहन सस्ता
मालभाड़े में इजाफे से रेलवे के मुकाबले सड़क परिवहन अधिक सस्ता हो जाएगा। गेटवे डिसट्रिपार्क्स जैसी कंपनियों को बड़ा घाटा होगा, जो ढुलाई के लिए रेल कार्गो पर निर्भर करती हैं। सरकार के इस निर्णय के कारण स्टील और सीमेंट कंपनियों के स्टॉक्स में मंगलवार को कमी आई।
55 रुपए प्रति टन सीटीएस लगाया
नई पहल के तहत बोर्ड ने प्रति टन कोल टैरिफ की फ्रेट रेट टेबल में बदलाव किया है। बोर्ड की योजना 55 रुपए प्रति टन की दर से कोल टर्मिनल चार्ज (सीटीएस) लगाने की है। यह चार्ज लोडिंग और अनलोडिंग टर्मिनल दोनों पर कोल के टैरिफ पर लगाया जाएगा। नई दरें 100 किलोमीटर से अधिक दूरी पर लागू होंगी।
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