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इन सब चीजों को बताया जिम्मेदार
आईएमएफ चीफ की गीता गोपीनाथ ने कार्यक्रम में कहा कि भारत में कंज्यूमर डिमांड और प्राइवेट इंवेस्टमेंट में आई कमी और कमजोर एक्सपोर्ट की वजह से जीडीपी में सुस्ती के लिए जिम्मेदार है। वहीं गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत देश की इकोनॉमी को उंचा रखने की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने भारत की वित्तीय स्थिति को चुनौतीपूर्ण बताया और कहा कि देश का राजकोषीय घाटा 3.4 फीसदी के दायरे से आगे निकलने के पूरे आसार दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स में तो कटौती की है, लेकिन रेवेन्सू बढ़ाने की किसी घोषणा के बारे में जानकारी नहीं दी।
मुश्किल है 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लक्ष्य रखा है कि 2024 देश की इकोनॉमी को 5 ट्रिलियन डॉलर का बनाना है। वहीं भारत की मौजूदा स्थिति को देखते हुए आईएमएफ चीफ ने कहा भारत के इस लक्ष्य तक पहुंचना थोड़ा मुश्किल लग रहा है। उन्होंने कहा कि भारत को इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए पिछले 6 साल के 6 फीसदी की वृद्धि दर के मुकाबले बाजार मूल्य पर 10.5 फीसदी की विकास दर हासिल करनी होगी। स्थिर मूल्य के लिहाज से इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए 8 से 9 फीसदी की तेजी लानी होगी।
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अक्टूबर में आईएमएफ ने लगाया था अनुमान
आईएमएफ की ओर से अक्टूबर में भारत की आर्थिक विकास दर को 6.1 फीसदी का अनुमान लगाया था। जबकि 2020 का अनुमान 7 फीसदी बताया था। आपको बता दें कि सरकार की ओर जारी आंकड़ों के अनुसार दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी 6 साल के निचले स्तर 4.5 फीसदी पर पहुंच गई। वहीं आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष का जीडीपी अनुमान 6 फीसदी से कम कर 5 फीसदी कर दिया है।