ताजा खबरों के अनुसार देश का निर्यात एक साल पहले के मुकाबले 2 फीसदी नीचे गिर गया है। वर्ष दर वर्ष आधार पर जनवरी में 1.66 फीसदी गिरावट आई है। शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, जनवरी में निर्यात 25.97 अरब डॉलर रहा, जबकि पिछले साल की जनवरी में निर्यात 26.41 अरब डॉलर रहा। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अप्रैल-जनवरी 2019-20 की अवधि में कुल निर्यात 265.26 अरब डॉलर हुआ, जबकि अप्रैल-जनवरी 2018-19 की अवधि के दौरान निर्यात 270.49 अरब डॉलर हुआ था। यानी डॉलर के संदर्भ में निर्यात में 1.93 फीसदी की गिरावट आई। बयान में कहा गया है कि जनवरी 2020 में गैर पेट्रोलियम और गैर जेम्स और ज्वेलरी निर्यात 19.79 अरब डॉलर का था, जबकि जनवरी 2019 में यह 19.94 अरब डॉलर था। यानी इसमें 0.78 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
थोक महंगाई दर में भी इजाफा
थोक मूल्य पर आधारित भारत की वार्षिक महंगाई दर दिसंबर के 2.59 फीसदी से बढ़कर जनवरी में 3.10 फीसदी हो गई। वहीं पिछले वर्ष के दिसंबर में थोक महंगाई दर 2.76 फीसदी दर्ज की गई थी। आधिकारिक आंकड़ों से शुक्रवार को यह जानकारी मिली है। गैर-खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी दिसंबर के 2.32 फीसदी से करीब 3 गुना बढ़कर 7.8 फीसदी हो गई है। खाद्य वस्तुओं में सब्जियों की कीमतें 52.72 फीसदी, जिसमें सबसे अधिक योगदान प्याज का देखने को मिला। इस दौरान प्याज की कीमतों में 293 फीसदी का इजाफा देखने को मिला। वहीं इसके बाद आलू की कीमतों में 37.34 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की 102 रैंक
ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया के उन 117 देशों में से 102वें नंबर पर है, जहां बच्चों का वजन उनकी लंबाई के अनुसार नहीं है। वहीं बाल मृत्यु दर ज्यादा होने के साथ कुपोषण के भी शिकार हैं। भारत में ऐसे बच्चों का आंकड़ा करीब 20.8 फीसदी है। दुनिया में यह आंकड़ा भारत के बाद यमन एवं जिबूती का ही है। जिसे दुनिया में सबसे खराब कहा जाता है। ताज्जुब की बात तो ये है कि देश में 6 महीने से करीब 2 साल तक के बीच के करीब 9.6 फीसदी बच्चों को ही न्यूनतम आहार मिलता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा साल 2016-18 के बीच कराए गए एक सर्वे के अनुसार भारत में 35 फीसदी बच्चे छोटे कद के हैं। वहीं 17 फीसदी बच्चे कमजोर पाए गए। साल 2015 में भारत इस इंडेक्स में 95 रैक पर था। सवाल ये है कि क्या किसी विकसित देश के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में आंकड़े इतने भयावह हो सकते हैं? क्या इन आंकड़ों के साथ भारत को विकसित देशों की श्रेणी में रखा जा सकता है?