Budget 2020: आर्थिक सुस्ती के बीच पेश होगा देश का बजट, इन चुनौतियों से कैसे पार पाएगी सरकार
कई मायनों में सरकार के लिए यह बजट (Union Budget 2020) काफी अहम होगा। क्योंकि यह बजट ऐसे समय में पेश हो रहा है जब देश में धीमी अर्थव्यवस्था ( Indian Economic Slowdown) से गुजर रही है।
नई दिल्ली।budget 2020 आने में अब कुछ दिन शेष रह गए हैं। सरकार की ओर से बजट की तैयारी जोरों पर है। हर किसी की नजरें पेश होने वाले बजट पर है। 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( FM Nirmala Sitharaman) बजट पेश करेंगी। निर्मला सीतारमण का यह दूसरा बजट होगा। लेकिन कई मायनों में सरकार के लिए यह बजट (Union Budget 2020) काफी अहम होगा। क्योंकि यह बजट ऐसे समय में पेश हो रहा है जब देश में धीमी अर्थव्यवस्था, करीब 11 साल के निचले स्तर पर GDP, खऱाब मांग, दिसंबर में मुद्रास्फिति की दर का निगेटिव आकलन, रोजगार के आकड़ें निराशाजनक है। ऐसे में सरकार के लिए यह बजट चुनौतियों भरा रहने वाला है।
GST से राजकोषीय घाटे पर असर ( GST Revenue collection ) सरकार ने जीएसटी को जिस लक्ष्य के साथ लांच किया है। वो कमाई के मामले में अबतक पूरा होता नही दिख रहा। क्योंकि सरकार को GST से जितनी कमाई की उम्मीद थी, उतनी नहीं हुई। जीएसटी से होनेवाली कमाई लक्ष्य से काफी पीछे है। इसका भी असर खजाने पर पड़ा है। इन तमाम वजहों के कारण राजकोषीय घाटा बढ़ रहा है। सरकार की लाख कोशिश के बावजूद तय राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पार कर रही है और इस बजट में उस लक्ष्य के भीतर रखना बड़ी चुनौती है।
आर्थिक सुस्ती ( Economic Slowdown) बनी मुसीबत सरकार को ऐसे समय में बजट पेश करना पड़ रहा है जो देश में आर्थिक सुस्ती छाई हुई है। रोजगार से लेकर इंडस्ट्री की हालत काफी चिंताजनक है। दरअसल आर्थिक सुस्ती की सबसे बड़ी वजह है मांग में कमी । ऐसे में सरकार बजट में पूरी कोशिश करेगी कि ऐसे उपाय किए जाए जिससे मांग में तेजी लाया जा सके।
कॉर्पोरेट टैक्स ( Corporate Tax in India) पर फैसला कॉर्पोरेट जगत को खुश करने के लिए वित्त मंत्री ने पिछले बजट के बाद कॉर्पोरेट टैक्स को 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दिया था। लेकिन सरकार के इस फैसले से हर साल सरकारी खजाने पर 1.5 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पर रहा है। इसलिए सरकार को बजट 2020 में इस पर भी विचार करना होगा।
न्यूनतम स्तर पर विकास दर (GDP Growth Rate) देश में आर्थिक सुस्ती के माहौल के कारण विकास दर 6 साल के न्यूनतम स्तर पर जा पहुंचा है। जिसके चलते सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है इसे पटरी पर वापस लाना। सरकार का खजाना लगातार खाली होता जा रहा है। रिजर्व बैंक से सरकार एकबार फिर 45 हजार करोड़ की मदद की उम्मीद (Budget expectations) कर रही है। ऐसे में जब खजाने खाली है तो देखना होगा कि सरकार हर इस बजट में हर मोर्चे को कैसे खुश कर पाती है।