शर्तों को करना होगा पूरा
घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाले वित्तीय सेवा विभाग ( dfs ) ने ईपीएफओ को वित्त वर्ष 2018-19 के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर 8.65 फीसदी करने के फैसले को अपनी मंजूरी दे दी। हालांकि मंत्रालय ने इसके लिए आवश्यक शर्तों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है।
ये भी पढ़ें: लगातार दूसरे दिन पेट्रोल की कीमतें रहीं स्थिर, डीजल के दामों में हुई 7 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी
ब्याज दरों में हुई बढ़ोतरी
इससे पहले फरवरी में केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार के नेतृत्व वाली ईपीएफओ ( EPFO ) की शीर्ष संस्था सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर को बढ़ाकर 8.65 फीसदी करने का फैसला किया था, जो तीन वर्षों के भीतर ब्याज दर में पहली बढ़ोतरी थी। आपको बता दें कि पिछले तीन सालों में ब्याज दरों में पहली बार बढ़ोतरी हुई है।
वर्ष | ब्याज दर |
2015-16 | 8.80 फीसदी |
2016-17 | 8.65 फीसदी |
2017-18 | 8.55 फीसदी |
2018-19 | 8.65 फीसदी |
वित्त मंत्रालय देगा निर्देश
आपको बता दें कि वित्त मंत्रालय की अनुमति के बाद ही आयकर विभाग इसको लेकर कोई कदम उठाएगा और इसके बाद ही श्रम मंत्रालय को 2018-19 के लिए ब्याज दर का नोटिस जारी करना होगा। ईपीएफओ ( EPFO ) अपने 120 कार्यालयों को निर्देश देगा। इसके बाद ही ग्राहकों के खातों से संबंधित शर्तों को पूरा किया जा सकेगा।
ये भी पढ़ें: जून में झेलनी पड़ेगी महंगाई की मार, आटा, दाल, तेल समेत इन चीजों के बढ़ेंगे दाम
5 सालों में मिल रहा था सबसे कम ब्याज
ईपीएफओ के द्वारा ग्राहकों को बीते पांच सालों में सबसे कम ब्याज दर ऑफर की गई जो 8.55 फीसदी की थी। इससे पहले इतनी कम ब्याज दर 5 साल पहले मिलती थी, जिसको सरकार के द्वारा अब बढ़ा दिया गया है। यही कारण है कि ईपीएफ ने तय किया है कि ग्राहकों को 8.65 फीसदी की ब्याज दर से राशि दी जाए।
Business जगत से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर और पाएं बाजार,फाइनेंस,इंडस्ट्री,अर्थव्यवस्था,कॉर्पोरेट,म्युचुअल फंड के हर अपडेट के लिए Download करें patrika Hindi News App.