आरबीआर्इ के पास इन्कार करने का अधिकार
हालांकि मौजूदा समय में चल रहे विवाद पर उन्होंने कहा कि सरकार व आरबीआर्इ, दोनों को एक दूसरे की मंशा का आदर करना चाहिए। राजन ने इंटरव्यू में कहा कि सरकार को बैंक के सामने अपनी बात रखनी चाहिए उसके बाद ये बैंक पर छोड़ देना चाहिए। यदि सरकार आरबीअार्इ को अधिक नरमी बरतने को कह रही है तो अारबीआर्इ के पास इन्कार करने का अधिकार है। आरबीआर्इ का मकसद संस्थान के बारे में सोचना है न कि किसी दूसरे के रूचि या सहूलियत के हिसाब से चलना है। केंद्रीय बैंक से तकरार अर्थव्यवस्था के लिए बुरा असर डाल सकता है।
सुलझाया जा सकता है एनबीएफसी संकट
गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के बारे में बात करते हुए राजन ने कहा कि केंद्रीय बैंक को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में होने वाली वित्तीय तरलता को अच्छे से परखना चाहिए आैर फिर बाजार में पर्याप्त तरलता बढ़ाकर सुलझाना चाहिए। मौजूदा समय में एनबीएफसी के 17-18 फीसदी का ही एसेट है आैर इसका प्रबंध किया जा सकता है। पूर्व गवर्नर ने आगे कहा कि यदि तरलता संकट आगे भी बरकरार रहती है तो सरकार को बेलआट विकल्प पर भी विचार करना चाहिए।
दूसरी अर्थव्यवस्थाआें से बेहतर कर रहा भारत
अर्थव्यवस्था पर राजन ने कहा कि अभी मुद्रास्फिति के मामले में भारत दूसरे देशों की तुलना में बहुत बेहतर स्थिति में है। इसका पूरा श्रेय आरबीआर्इ को दिया जाना चाहिए। भारत दुनिया के कर्इ देशों के तुलना में काफी तेजी से ग्रोथ कर रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में दुनियाभर के कर्इ देशों में मौद्रिक नीतियां पहले से कठोर होने वाली हैं।
फेड रिजर्व बढ़ाता रहेगा ब्याज दरें
अमरीकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर राजन ने कहा कि इससे अमरीका को फौरी राहत मिली है। आने वाले दिनों में अमरीकी नौकरियों के डेटा से तय होगा फेड रिजर्व आगे भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगा या नहीं। हालांकि उन्होनें इस बात की उम्मीद जतार्इ की इस साल फेड रिजर्व एक ही बार आैर अगले साल तीन बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगा। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने इस बात की भी चिंता जतार्इ की ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी से यूएस को ये ग्रोथ अधिक दिनों से नहीं बना रहेगा।