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बिन रोजगार के आंकड़ों का आर्थिक सर्वे 2019, सरकार के दावों में नहीं दिखा दम

Economic Survey 2019 में देश की मोदी सरकार रोजगार के आंकड़ों को नहीं दिखा सकी है।

Jul 05, 2019 / 08:49 am

Saurabh Sharma

Nirmala Sitharaman

बिन रोजगार के आंकड़ों का आर्थिक सर्वे 2019, सरकार के दावों में नहीं दिखा दम

नई दिल्ली। economic survey 2019 को आज देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Finance Minister Nirmala Sitharaman ) पेश कर दिया है। जिसमें उन्होंने शुक्रवार को आने वाले बजट 2019 के थोड़े बहुत संकेत दिए। ताज्जुब तो इस बात का है कि 2014 में हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात कहने वाले नरेंद्र मोदी ने अपनी नई सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण में रोजगार की बात तो की, लेकिन रोजगार देने के वादे से बचते हुए नजर आए। ना तो कोई आंकड़ा पेश किया। ना ही यह बताने की कोशिश की कि देश से युवाओं को नौकरी कैसे और कितनी देंगे। आपको बता दें कि किसी देश की इकोनॉमी के लिए रोजगर एक अहम घटक होता है। देखिये हमारी स्पेशल रिपोर्ट…

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रोजगार के आंकड़ों पर बचती नजर आई सरकार
आर्थिक सर्वेक्षण 2019 में निर्मला सीतारमण ने रोजगार को लेकर कोई ठोस आंकड़े पेश नहीं किए हैं। ना ही उन्होंने इस बात का जिक्र किया है कि 2019 में देश के युवाओं को कितनी नौकरी देंगे। सर्वेक्षण में साफ कहा गया कि हम मुद्रा योजना को आगे बढ़ाएंगे। जिसमें बजट एलोकेट किया जाएगा। सरकार का मुद्रा योजना को लेकर साफ संकेत था कि देश के लोग मुद्रा योजना के तहत लोन लें और अपना खुद का रोजगार खोलने का प्रयास करें। यानी सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण में साफ कर दिया है कि वो सरकारी नौकरियां देने में सक्षम नहीं है। वहीं निवेश के जरिए नौकरियां बढ़ाने की बात कही है। सरकार का कहना है कि देश में निवेश को बढ़ावा दिया जाएगा। जिससे देश में नई-नई कंपनियां आएंगी और नौकरियां का अंबार लगेगा। वो बात अलग है कि बीते पांच सालों में निवेश के नाम पर कितने लोगों को नौकरियां मिली हैं अपने आप में बड़ा प्रश्न है। साथ ही एनएसएसओ की रिपोर्ट रोजगार के मामले में सरकार की नाकामी साफ बयांं कर रही है।

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BSNL और MTNL बन रहे सबसे बड़े उदाहरण
सरकार के रोजगार के मामले में दो उदाहरणों से संकेत साफ देखे जा सकते हैं। हाल ही में एअर इंडिया और बीएसएनएल एवं एमटीएनएल के मामलों में सरकार ने जो स्टैंड लिया है वो बेहद चौंकाने वाला है। सरकार ने साफ कर दिया है कि वो अब एअर इंडिया का बोझ नहीं उठा सकती है। ऐसे में वो अपना 76 फीसदी का स्टेक निजी हाथों में देगी। इस बयान के बाद एअर इंडिया में काम कर रहे हजारों कर्मचारियों की नौकरियों खतरा बन गया है। वहीं सरकारी नौकरियों की संख्या भी उतनी ही कम हो रही है। आपको बता दें कि एअर इंडिया में 20 हजार से कर्मचारी काम कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल दोनों ही आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही हैं। दोनों के पास अपने कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए भी रुपया नहीं बचा है। सरकार अब अपने कर्मचारियों को अच्छे पैकेज के साथ वीआरएस देने की बात कर रही है। ताकि सरकारी कर्मचारियों की संख्या में कमी की जा सके। आपको बता दें कि दोनों टेलीकॉम कंपनियों को मिलाकर दो लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारी काम कर रहे हैं।

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19 कंपनियों को बंद करने जा रही है सरकार
वहीं दूसरी ओर नरेंद्र मोदी की नई सरकार देश की 19 सरकारी कंपनियों को बंद करने का ऐलान कर चुकी है। घाटे के नाम पर बंद होने वानी इन कंपनियों में लाखों कर्मचारी काम करते हैं। ऐसे में उनकी नौकरी पर संकट आ खड़ा हुआ है।यह कंपनियां पेट्रोलियम, पर्यावरण, रेल, रसायन, कपड़ा और वाणिज्य मंत्रालयों के अंडर की कंपनियां है। मतलब साफ है कि देश की सरकार सरकारी नौकरियों को खत्म करने का मूड बना चुकी है। ताकि उससे देश की जनता रोजगार से संबंधित सवाल ना पूछ सके।

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इकोनॉमी का अहम हिस्सा रोजगार
एंजेल ब्रोकिंग कमोडिटीज एंड रिसर्च के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता ने कहा कि रोजगार देश की इकोनॉमी का अहम हिस्सा है। देश में रोजगार बढ़ेगा तो लोगों की प्रति व्यक्ति आय में इजाफा होगा। जिससे रुपए का प्रवाह ज्यादा होगा। देश के लोगों में खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी और इससे देश में प्रोडक्शन बढ़ेगा। प्रोडक्शन बढऩे से इकोनॉमी बेहतर स्थिति में आएगी। उन्होंने कहा कि सरकार रोजगार को और बेहतर रोडमैप दिखाने की जरुरत थी।

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