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करीब 25 फीसदी की देखने में आई कमी
मौजूदा समय में मार्केट में सबसे बड़ा नोट 2000 का है। जिसका फ्लो आरबीआई धीरे-धीरे कम करने में लगा हुआ है। ताज्जुब की बात तो ये है कि आयकर विभाग के छापों में बरामद राशि में 2,000 के नोटों की संख्या ज्यादा नहीं है। सरकार से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 में विभाग के छापे में बरामद रकम में 68 फीसदी नोट 2000 के थे जो कि मौजूदा साल में कम होकर 43 फीसदी ही रहे गए हैं। यानी 2000 रुपए के नोटों की बरामदगी में 25 फीसदी की कमी देखने को मिली है।
छोटे नोटों को दे रहे हैं प्राथमिकता
अवैध धन जमा करने वालों को अब इस बात का अंदाजा हो गया है कि बड़े नोटों को रखना अब खतरे से खाली नहीं है। आयकर विभाग और सरकार उन लोगों पर ज्यादा पैनी नजर रख रही है जिनके पास बड़े नोट ज्यादा है। वहीं ऐसे में इय बात का भी डर है कि बड़े नोटों को बंद करने को लेकर सरकार कब कौन सा फैसला ले ले। ऐसे में अब छोटे नोटों को अवैध धन जमा करने के लिए उपयोग किए जा रहे है। देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बात की तो जानकारी नहीं दी है कि छोटे नोटों का इस्तेमाल कितना ज्यादा हो गया है। लेकिन बीते तीन सालों में 2000 रुपए के नोटों की बरामदगी 67.9 फीसदी से कम होकर 43.2 फीसदी रह गई है।
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लगातार कम हो रहा है।
वर्ष 2016 में नोटबंदी होने के बाद 1,000 और 5,00 के नोट बंद कर दिया गया था। जिसके बाद सबसे पहले 2,000 रुपए का नया नोट आरबीआई ने बाजार में जारी किया था। नोटबंदी से पहले आयकर की रेड में सबसे ज्यादा 1000 और 500 रुपए के नोट बरामद होते थे। आंकड़ों के अनुसार मार्च 2017 में 2000 के नोगों का फ्लो आधा हो गया है। मौजूदा समय में 2000 रुपए के नोटों का फ्लो 31 फीसदी है। जानकारों की मानें तो आरबीआई और सरकार लगातार 2000 रुपए के नोटों को कम कर रही है।