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2426 कर्जदारों ने जानबूझकर किया Loan Default, Gitanjali, Kingfisher Airlines, Ruchi Soya लिस्ट में नाम

AIBEA ने Bank Nationalization की 51वीं वर्षगांठ के मौके पर 2,426 Defaulters की List जारी की
AIBEA के अनुसार, 2,426 कर्जदारों की ओर से जानबूझ कर किया 14.7 खरब रुपए से अधिक का Default

Jul 19, 2020 / 09:30 am

Saurabh Sharma

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AIEBEA Said, 2426 creditors intentionally defaulted to Rs 15 trillion

नई दिल्ली। जहां एक ओर सभी एक्सपर्ट, आरबीआई ( rbi ) और तमाम एजेंसिया मोराटोरियम ( Loan Moratorium ) की वजह से बैंकों का बैड लोन ( Bad Loan ) बढऩे के संकेत दे रहे हैं। वहीं दूसरी ओर देश में सैकड़ों संस्थान और लोग ऐसे हैं जिन्होंने जानबूझकर बैंकों का लोन जमा नहीं किया है। इनमें से कुछ तो नामी संस्थान भी हैं। जिनमें गीतांजली ( Gitanjali ), किंगफिशर एयरलाइंस ( Kingfisher Airlines ), रुचि सोया ( Ruchi Soya ) शामिल हैं। वास्तव में ऑल इंडिया बैंक इंप्लायज एसोसिएशन ( All India Bank Employees Association ) यानी एआईबीईए ( AIBEA ) ने बैंकों के नेशनलाइजेशन की 51वीं वर्षगांठ ( 51st Anniversary of Nationalization of Bank ) के जश्न के मौके पर शनिवार को 2,426 लेनदारों की एक लिस्ट जारी की, जिन्होंने जानबूझ कर अपने बैंक ऋण पर 14.7 खरब रुपए से अधिक का डिफाल्ट ( Loan Default ) किया है।

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डिफॉल्टर्स से जुड़ें कुछ आंकड़ें
– भारतीय स्टेट बैंक सार्वजनिक क्षेत्र के 17 बैंकों की सूची में इस मामले में पहले स्थान पर है।
– एचबीआई के पास विलफुल डिफॉल्टरों की संख्या 685 है, जिनके ऊपर 43,887 करोड़ रुपए बकाया हैं।
– पंजाब नेशनल बैंक में 325 डिफाल्टर और 22,370 करोड़ रुपए बकाया है।
– बैंक ऑफ बड़ौदा के 355 डिफाल्टर हैं जिनपर 14,661 करोड़ रुपए बकाया है।
– बैंक ऑफ इंडिया के 184 डिफॉल्टर ने 11,250 करोड़ रुपए अभी तक जमा नहीं किए हैं।
– सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के 69 डिफाल्टर पर 9,663 करोड़ रुपए का कर्ज है।
– पंजाब एंड सिंध बैंक के छह विलफुल डिफाल्टर हैं, जिन्होंने 255 करोड़ रुपए का दिवालिया किया।
– एआईबीईए के अनुसार, शीर्ष 10 डिफाल्टरों ने 32,737 करोड़ रुपए का डिफाल्ट किया है।

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बड़े-बड़े नाम हैं इस सूची में
एआईबीईए के महासचिव सीएच वेंकटाचलम के अनुसार बैंकों के सामने एक मात्र बड़ी समस्या निजी कंपनियों और कॉरपोरेट्स द्वारा लिए कए ऋण का भारी मात्रा में बैड लोन बनना है। उन्होंने कहा कि यदि उनपर कड़ी कार्रवाई कर के रुपयों की रिकवरी की जाए तो बैंक राष्ट्रीय विकास में एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। डिफाल्टर्स को रियायत देने और जनता को उसकी जमा राशि पर ब्याज दर घटाने और सर्विस चार्ज बढ़ाने की परंपरा बंद होनी चाहिए। विलफुल डिफाल्टर्स की लिस्ट में गीतांजलि जेम्स लिमिटेड, किंगफिशर एयरलाइंस, रुचि सोया इंडस्ट्रीज लिमिटेड, विनसम डायमंड्स एंड ज्वेलरी लिमिटेड, स्टर्लिग बायोटेक लिमिटेड और अन्य शामिल हैं।

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डेढ़ लाख से ज्यादा हो गई बैंकों की ब्रांच
वेंकटाचलम के अनुसार, बैंकों की शाखाएं 1969 में 8,200 से बढ़कर आज 1,56,349 हो गई हैं। प्रॉयरिटी सेक्टर लेंडिंग इस समय 40 फीसदी है, जबकि राष्ट्रीयकरण से पहले यह शून्य थी। उन्होंने यह भी कहा कि जमा और एडवांसेस 1969 में क्रमश: 5,000 करोड़ रुपए और 3,500 करोड़ रुपए थे, जो अब बढ़कर 138.50 लाख करोड़ रुपए और 101.83 लाख करोड़ रुपए रुपए हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 19 जुलाई, 1969 को तत्कालीन भारत सरकार ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था, और उसके बाद से इन बैंकों ने एक नया रास्ता और सामाजिक दृष्टिकोण तैयार करना शुरू किया था।

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