फेसबुक वॉल पर यह लिखा
‘मैं संकल्प लेने की सोच रहा हूं कि अब मैं बड़े अकवियों की जमकर जी हजूरी करुंगा। नवोदितों को मंच नहीं दूंगा। अकवियों-अकवयित्रियों की हरकतों पर कोई टिप्पणी नहीं करुंगा। जिसको जो करना है मैं कोई आपत्ति नहीं करूंगा। अपने संयोजन में उसको ही बुलाऊंगा, जो मुझे बुलाने का लिखित वादा करेंगे। जिसको बुलाऊंगा वो जब तक मुझे न बुलाए उसके पीछे पड़ जाऊंगा… अपना कर्जा याद दिलाता रहूंगा या जब तक वो मुझे न बुलाए मैं भी उसको नहीं बुलाऊंगा। अकवियों चोर कवियों के विरुद्ध लिखने वालों को नकारात्मक व कुंठित मानूंगा और प्रचारित करुंगा। कविता के मंच पर चुटकुलेबाजी नोकझोंक व फूहड़ता का भरपूर समर्थन करुंगा। साल में कम से कम 10 नई कवयित्रियां बनाने का प्रयास करुंगा।
कवियों-कवयित्रियों के नाम पर आयोजकों से अधिक रकम लूंगा पर उनको उतने नहीं दूंगा। मंच पर देशभक्ति की बड़ी-बड़ी बातें करुगा पर अपना पेमेंट डीडी या बैंक ट्रांसफर से न लेकर नगदी ही लूंगा और इंकम टैक्स रिटर्न में उतना शो नहीं करुंगा। साल में कम से कम 50 लोगों के नाम मंच से कटवाऊंगा। साल में कम से कम 50 जीवित लोगों की और 100 मृत लोगों की कविताएं चुराकर मामूली हेरफेर करके अपने नाम करुंगा। वारिधि, सम्राट, शिरोमणि, वाचस्पति आदि टाइटल वाले साहित्य पुरस्कार लेने उठापटक, जुगाड़, सेटिंग सब करुंगा… और जब मिल जाएगा तो ये सम्मान मेरा नहीं माता शारदे का है, हिंदी मां का है। आपका धन्यवाद जो मुझे इस काबिल समझा जैसे लच्छेदार शब्दों का खूब प्रयोग करुंगा। जो मुझे मंच पर नहीं बुलाएंगे, उनको मैं खूब कोसूंगा, खूब गालियां दूंगा, दुष्प्रचार करुंगा और जैसे ही उनके साथ मंच साझा करने मिलेगा तो उनके साथ गलबहियां करके उनके समान देवता व पुरुष किसी को न मानूंगा। कोई उनको बुरा भला कहे तो लड़ भिड़ जाऊंगा। अपने प्यारे कवि या कवयित्री के लिए कहता फिरूंगा कि ये न होते तो हिंदी साहित्य मर जाता। प्राणफूंक दिए इन्होंने। उनके कहने पर कवि सम्मेलन का बहिष्कार भी करना पड़े तो यह पाप भी निसंकोच करके आयोजक की जान सांसत में डाल दूंगा।
बारह माह के लिए ये एक दर्जन संकल्प देश का बड़ा कवि बनने के लिए लेने जा रहा हूं…. किसी को कोई सुझाव देना हो, रोक-टोक करना हो तो आज ही कर लेना…. आज रात 12 बजे के बाद संकल्पित हो जाऊंगा तो फिर बाद में मत बोलना कि संदीप तुम तो ऐसे न थे। यदि आप इसे व्यंग्य या कटाक्ष के रूप में ले रहे हैं, तो ये आपकी मौलिक समझदारी हो सकती है। -संदीप जैन मित्र
संदीप को पिस्टल बेचने वाला भी हत्थे चढ़ा
नगपुरा पाश्र्वतीर्थ के संस्थापक समाजसेवी रावलमल जैन मणि और उनकी पत्नी सूरजीदेवी की हत्या के आरोपी पुत्र संदीप जैन को ६ माह पहले 1.30 लाख में पिस्टल बेचने वाले भगत सिंह गुरुदत्ता (47 वर्ष) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। दुर्ग के कालाबाड़ी अग्रसेन चौक निवासी गुरुदत्ता बचपन में संदीप के साथ पढ़ा है। एएसपी डीआर पोर्ते ने बताया कि गुरुदत्ता इस पिस्टल को मुंगेर (बिहार) से खरीद कर लाया था। संदीप से पूछताछ में पिस्टल खरीदी के नए खुलासे के बाद पुलिस ने उसे एक दिन के रिमांड पर लिया है। इधर, डॉक्टर बीएम देवांगन द्वारा पुलिस को मिले शार्ट पीएम रिपोर्ट में पिस्टल से निकली गोली से जैन दंपती की हत्या की पुष्टि हुई है।