रेलवे पुलिस के अनुसार दोनों बच्चियां हाथ में हॉकी और बैग लिए छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस से उतरी थीं। वे जीआरपी चौकी के सामने आकर बैठ गईं। करीब तीन घंटे तक प्लेटफार्म पर रहने के बाद उनको पूछताछ के लिए बुलाया गया। तब बच्चियों ने बताया कि वे प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लेने आई हैं और एक युवक उन्हें लेने आने वाला है। इसके बाद जब हॉकी के प्रशिक्षण शिविर को लेकर पड़ताल की गई तब मामले का खुलासा हुआ।
फोन पर हुई बातचीत, दोनों बहनें हॉकी लेकर आ गईं
दोनों बच्चियां ममेरी बहनेंं हैं। एकसाथ पढ़ार्ई करती हैं और हॉकी खेलती हैं। इनको अज्ञात युवक ने हॉकी की प्रतिभाओं को निखारने के लिए बड़े प्रशिक्षण शिविर के आयोजन की बात बताई थी। बच्चियों की मानें तो युवक ने मोबाइल पर इनको शिविर के बारे में बताया था। कई बार बातचीत हुई।
युवक ने कहा था, दुर्ग आओ मैैं रेलवे स्टेशन पर मिलूंगा
कुछ दिन पहले युवक ने कहा कि शनिवार से प्रशिक्षण शिविर शुरू हो रहा है। दुर्र्ग आ जाओ, मैं तुम्हें रेलवे स्टेशन पर ही मिलूंगा। उसकी बातों में आकर वे यहां आ गईं। लेकिन जब तीन घंटे तक उन्हें लेने कोई नहीं आया तो उनको डर लगने लगा। इसके बाद जीआरपी को सारी बात बताई।
युवका का मोबाइल बंद मिलातो पुलिस का शक और गहराया
युवक का मोबाइल नंबर लेकर ट्रेस करने का प्रयास किया। उसका मोबाइल स्विच ऑफ मिला। जिसने इन दोनों को बुलाया था, उसकी नीयत अच्छी नहीं थी। जीआरपी चौकी के सामने नाबालिग को देखकर हिम्मत नहीं कर पाया। हो सकता है कि जब बच्चियों को चौकी में ले गई तो वह स्टेशन से भाग गया। चौकी प्रभारी जीआरपी एसएन पाण्डेय ने बताया कि मामला गंभीर है।
नाबालिग होने के कारण हम लोगो ने चाइल्ड लाइन के माध्यम से नाबालिगों को सीडब्ल्यूसी में प्रस्तुत कराया है। प्रकरण सीडब्ल्यूसी से आगे की जांच करने का निर्देश मिलने पर हम आगे की जांच करेंगे। चाइल्ड लाइन भारती चौबे ने बताया कि रेलवे पुलिस ने नाबालिग मिलने की सूचना दी थी। सूचना के आधार पर हम लोगों ने नाबालिगों को अपने कब्जे में लिया। सीडब्ल्यूसी में प्रस्तुत करने के बाद बालिका गृह में रखा गया है। आगे की कार्यवाही सीडब्ल्यूसी करेगी।
जीआरपी की सूचना पर चाइल्ड लाइन की टीम तत्काल स्टेशन पहुंची। दोनों को चाइल्ड लाइन अपने कार्यालय ले गई। वहां से विदिशा पुलिस से संपर्क किया गया। इसमें मालूम चला कि दोनों हॉकी खेलती हैं। इससे पहले भी वे मैच खेलने बैतूल गई थीं। पुलिस के जरिए बच्चियों के परिजन को सूचना दी गई।