चिकित्सकों को मुताबिक ब्लैक फंगस (काली फफूंद) का शिकार वे हो रहे हैं जो पहले से शुगर के मरीज हैं। इसके बाद कोरोना संक्रमित हो गए। कोरोना की दवा खाने और ऑक्सीजन के सहयोग से वे ठीक जरूर हो रहे हैं, लेकिन तब उन्हें ब्लैक फंगस ने घेर लिया है। अब उन्हें इस बीमारी से जूझना पड़ा रहा है। यह बेहद खतरनाक रोग है। समय पर अगर इसका उपचार नहीं किया गया तो ऑपरेशन करने की नौबत आ जाती है। कभी आंख के पीछे तो कभी जबड़ा निकालकर ब्लैक फंगस का निदान करना पड़ता है। इलाज में अधिक देरी करने से यह दिमाग तक पहुंच जाता है और मरीज की मौत भी हो सकती है।
कोरोना से जूझ रहे छत्तीसगढ़ सरकार ने अब नई बीमारी म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस से निपटने के लिए कमर कस लिया है। यह दुर्लभ किस्म की बीमारी कोरोना से उबरे मरीजों में तेजी से पनप रही है। इसका प्रकोप भिलाई के टाउनशिप और पटरीपार में भी देखने को मिल रहा है। इस बीमारी से अंधेपन का खतरा रहता है।
ऐसे रोग जो पूरे देश में इक्का-दुक्का मिलते हैं, उनकी दवाएं कम ही होती है। जिसके कारण उनकी दवाओं की कीमत अधिक होती है। ब्लैक फंगस की दवाएं व इंजेक्शन भी महंगे होते हैं। इस वक्त दवाओं की किल्लत है जिसको देखते हुए सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन हरकत में आया है। चीफ मेडिकल एंड हेल्थ ऑफिसर दुर्ग को निर्देश दिया गया है। वहीं चिकित्सकों को इसके संबंध में सीनियर डॉक्टर जानकारी भी दे रहे हैं।
चिकित्सकों का कहना है कि शुगर के मरीज अगर कोरोना पॉजिटिव हो जाते हैं तब उनको कोरोना की दवा द जाती है। कोरोना की दवा से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जिसके बाद इन मरीजों का शुगर अनियंत्रित हो जाता है। इसके बाद वे ऑक्सीजन के सपोर्ट में रहते हैं। वहां से वे ठीक होकर लौट जाते हैं। तब कुछ मरीज ब्लैक फंगस से संक्रमित हो जाते हैं। जिसमें उनका साइनस, दिमाग, आंख और फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है। अंधे होने के साथ-साथ मरीज के मौत होने की आशंका भी रहती है।
चिकित्सकों के मुताबिक ब्लैक फंगस ज्यादातर उन मरीजों में देखा जा रहा है जो मधुमेह या डायबिटीज के रोगी हैं। ऐसे मरीजों को अपना शुगर का स्तर नियंत्रण में रखना चाहिए। म्यूकोरमायकोसिस के लक्षणों में सिरदर्द, बुखार, आंखों में दर्द, आंख का लाल होना, नाक बंद या साइनस और देखने की क्षमता पर आंशिक रूप से असर शामिल है। इन लक्षणों को हल्के में न लें, तुरंत ही डॉक्टर से कंसल्ट करें, जिससे शुरुआत में ही इसका इलाज हो सके। इसका समय पर उपचार नहीं होने से यह मस्तिष्क में असर करता है जिससे मरीज की जान भी जा सकती है।
डॉ सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे, कलेक्टर, दुर्ग ने कहा कि ब्लैक फंगस केस के बारे में चीफ मेडिकल एंड हेल्थ ऑफिसर ने अवगत करवाया है। उसकी विस्तृत जानकारी लेने सीएमएचओ को अधिकृत किया है। मुख्यमंत्री के निर्देश के मुताबिक जरूरी दवाएं समेत सभी उपाय किए जा रहें है। सभी चिकित्सकों का प्रशिक्षण शुरू कर दिया गया है। फंगस का इंफेक्शन न हो इसके लिए जो सपोर्ट चाहिए वह उपलब्ध करवाया जाएगा।
डॉक्टर बीपी शर्मा, नेत्ररोग विशेषज्ञ, भिलाई ने बताया कि सप्ताहभर के भीतर ब्लैक फंगस के 4 मरीज आ चुके हैं। जिसमें से एक प्रारंभिक स्टेज में व अन्य आगे स्टेज में पहुंच चुके हैं। इसलिए उनको हॉस्पिटल में दाखिल होने की सलाह दी गई है। कोरोना से संक्रमित मरीजों को खासकर जो शुगर पेसेंट हैं, वे शुगर नियंत्रण रखने में खास ध्यान दें।
डॉ. बीआर कोसरिया,नेत्ररोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल, दुर्ग ने बताया कि चालीस साल से इस पेशे से जुड़ा हूं। अब तक अपने कार्यकाल के दौरान मैंने ब्लैक फंगस की शिकायत लेकर आने वाले मरीज को नहीं देखा। कोरोना की पहली लहर में भी ब्लैक फंगस के मामले सामने नहीं आए थे। दूसरी लहर में इसके रोगी सामने आ रहे हैं। शुगर के मरीजों को अपना इस वक्त खास ध्यान रखना होगा।