यह मिली शहर को नई सौगाते
नगरपरिषद क्षेत्र में हर्बल गार्डन
सर्व समाज के लिए छात्रावास
कॉलोनियों में कॉलोनी के बोर्ड
एटीएम के लिए जमीन आवंटन
बासड़ समाज को रियायती दर पर दस हजार स्कवायर फीट जमीन
स्मार्ट क्लास बनवाना
संगीत केन्द्र खोलना
शहर में गांवों से आने वाले दिहाड़ी मजदूरों के लिए टीन शेड एवं पेयजल का प्रबंध
मुरला गणेश मंदिर का जीर्णोद्धार
हेरिटेज शिलालेख, स्तम्भों का संरक्षण
आउट डोर स्पोर्ट्स स्टेडियम
आप साथ दे, तो विश्व में होगा नाम
सभापति ने पांच वर्ष के कार्यकाल के उतराद्र्ध समय में डूंगरपुर शहर का नाम ‘गिनीज बुक ऑफ वल्र्डÓ में दर्ज करवाने के नवाचार की घोषणा करते हुए कहा कि शहरवासी साथ दे, तो डूंगरपुर का नाम पूरे विश्व में स्थापित होगा। उन्होंने सभी समाजजन से सहमति लेते हुए अयोध्या में प्रज्ज्वलित किए साढ़े पांच लाख दीपकों के विश्व रिकार्ड को तोडऩे का संकल्प दोहराया। इसके तहत नववर्ष प्रतिपदा पर एक साथ छह लाख दीपक प्रज्ज्वलित किए जाएंगे। इसमें दीपक, बाती, तेल सहित सम्पूर्ण जिम्मेदारी परिषद् की रहेगी। आमजन से सहभागिता का आह्वान किया।
बनाएंगे अत्याधुनिक निजी हॉस्पिटल
कार्यक्रम में सभापति की पत्नी सुशीला गुप्ता ने मेडिकल सुविधा के विस्तार की बात कही। सभापति ने कहा कि यह क्षेत्र अब भी चिकित्सा क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है। डूंगरपुर शहरवासी स्वच्छता सर्वेक्षण में डूंगरपुर को नम्बर वन लाने के लिए अभी से जुट जाए। इससे पुरस्कार स्वरूप जो राशि मिलेगी, उस राशि से यहां अत्याधुनिक चिकित्सालय बनाया जाएगा। इसमें सभी सुविधाएं उपलब्ध होगी। सभापति ने जल्द ही मन की बात कार्यक्रम में अगला कार्यक्रम महिलाओं के नाम करने की घोषणा भी की।
शहर से निकले आइएएस
शहर से प्रति वर्ष आरएसएस, आइपीएस और आइएएस बनकर निकले यह सपना है। इसके लिए परिषद् ने अत्याधुनिक लॉइब्रेरी बनाई है। इसमें प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिउ पुस्तकें उपलब्ध हैं। यदि तैयारी कर रहे युवा परिषद् के पास आएंगे, और उन्हें अतिरिक्त पुस्तकें और प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी, तो उसकी भी सुविधा दी जाएगी। जल्द ही ई-लाइबेरी भी बनाई जाएगी।
यह है भ्रांतियों, जबकि यह है सच्चाई
1. सभापति ने कहा कि शहर का विकास केवल नगरपरिषद की आय से ही हुए है। सरकार से केवल कार्मिकों की वेतन की राशि मिलती है। वह भी पूरी नहीं मिलती है। वेतन मद में भी सिर्फ 55 लाख रुपए मिलते हैं। जबकि, शहर के गार्डन, सार्वजनिक नल, बिजली, डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण, डिजल, वाहन रखरखाव, विभिन्न परियोजना में लगे संविदाकार्मिक आदि में 75 से 80 लाख रुपए की आवश्यता होती है। यह राशि परिषद् ने विभिन्न स्त्रोतों से अपनी आय बढ़ाकर वहन कर रही है। इसके बावजूद डूंगरपुर विकास का मॉडल पूरे देश के सामने है। आज डूंगरपुर का नाम विश्व पटल पर छाया है।
2. परिषद् ने सवा चार वर्ष के कार्यकाल में न्यायालयों में लम्बी लड़ाई लड़ कर जमीनों के टाइटल क्लियर करवाए हैं। परिषद् के पास आज भी 1762 बिघा जमीन है। सही प्लानिंग से विकास किया जाए, तो आने वाले कई वर्षों तक परिषद् में रुपयों की कमी नहीं रहेगी।