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मनोस्थिति गड़बड़ाने से अवसाद होता है, जिसे हम डिप्रेशन कहते हैं। अतीत की घटनाओं व यादों में उलझने और भविष्य में होने वाली घटनाओं के दुष्परिणाम से डरकर पुरुष या महिला पहले निराशावादी हो जाते हैं, जो डिप्रेशन की शुरुआत है। इस प्रारंभिक अवस्था में से कुछ लोग शेष बची मानसिक दृढ़ता से खुद उबर जाते हैं लेकिन कुछ तनाव का शिकार हो जाते हैं। डिप्रेशन के कई लक्षण हैं जैसे अकेले रहना, नींद न आना, सामाजिक मेल-मिलाप से बचना, काम में मन न लगना, चिड़चिड़ा होना, शंका-आशंका के साथ उठना-बैठना और काम करना, किसी से कुछ शेयर नहीं करना और उदास रहना। तनाव की चरम अवस्था है, जीने की चाह खत्म हो जाना। अक्सर पढऩे में भी आता है कि आत्महत्या करने वाला अमुक शख्स कई दिनों से गुमसुम था और तनाव में डूबा रहता था।
तनाव दे सकता है कई बीमारियां
लगातार तनाव में रहने से कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं। अवसादग्रस्त लोगों में सिरदर्द सामान्य लक्षण है। अगर तनावग्रस्त व्यक्ति माइग्रेन से पीडि़त है तो अवसाद के कारण इसके लक्षण और भी बुरे हो सकते हैं। इससे सीने में जलन, दर्द और असहजता भी महसूस हो सकती है। साथ ही हमारी पाचन प्रक्रिया भी प्रभावित हो सकती है। इसलिए तनाव में रह रहे व्यक्तिके लिए जरूरी है कि वह धूम्रपान और शराब के नशे से बचे। ऐसा कोई काम न करें जिससे आपको चिड़ हो। रेगुलर व्यायाम करें। योगा और ध्यान से भी तनाव को कम करने में मदद मिलती है। इसके लिए रोजाना 10-15 मिनट का ध्यान भी किया जा सकता है। फिर भी समस्या में सुधार न हो तो मनोचिकित्सक से संपर्क कर उन्हें अपनी समस्या विस्तार से बताएं और उनके द्वारा बताई गई सलाहों का पूरी तरह से पालन करें। साथ ही अपना आत्मविश्वास बनाए रखें।
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इन बातों का ध्यान रखना जरूरी
1. उसे उपदेश न दें। ऐसे में पीडि़त को आपकी कही हुई हर बात उपदेश और ज्ञान लगती है। ऐसे में उससेे जरूरी बातें ही करें।
2. उससे बहस न करें। किसी भी मुद्दे पर उससे बातचीत करना, उसके गुस्से को बढ़ा सकता है या फिर चिड़चिड़ा बना सकता है।
3. उसके अकारण गुस्से होने पर झगड़ा न करें। यह मानें कि उसका गुस्सा किसी बीमारी की वजह से है, लिहाजा उसे सहन करने की आदत डालें।
4. उसे बताए बिना अवसाद के कारण खोजें और बिना बताए ही दूर कर दें।
5. मित्र-परिजन को आगाह कर दें कि उससे मेल-मिलाप बढ़ाएं, उसे हर बार यह अहसास न कराएं कि वह एक मानसिक रोगी है।
6. अवसादग्रस्त शख्स को अकेला न रहने दें लेकिन उसे यह अहसास भी न होने दें कि उसकी निगरानी हो रही है।
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7. उसे वह हर काम करने दें जो उसका पसंदीदा हो जैसे पेंटिंग करना, डांस, म्यूजिक सुनना और किताबें पढऩा आदि।
8. उससे घर-परिवार या दफ्तर की कोई समस्या शेयर न करें।
9. नींद न आ रही हो तो उस पर सोने का दबाव न डालें बल्कि ऐसा माहौल बना दें कि वह सो जाए।
10. उसके जीवन के निराशावादी क्षण या पराजय की घटनाएं उसे याद न दिलाएं। उसकी उपलब्धियां दोहराएं ताकि उसे पॉजिटिव एनर्जी मिलती रहे।
11. जानकारी के बिना उसे मनो-चिकित्सक से मिलवाएं।
12. अवसादग्रस्त व्यक्ति को घुमाने लेकर जाएं।
13. मनोचिकित्सक का परामर्श जरूरी हो जाए तो पहले बिना उसकी उपस्थिति के आप मनोचिकित्सक से मिलें और उन्हें विस्तार से लक्षण ही नहीं, अवसाद के कारण भी बताएं।
14. अवसाद मानसिक रोग है, शारीरिक नहीं। इसलिए ऐसे शख्स को घरेलू कामकाज से दूर न करें, बल्कि उसकी रुचि वाले छोटे-मोटे काम अवश्य करवाएं। अवसादग्रस्त व्यक्ति जो पसंद नहीं करता, वह करने के लिए उसे बाध्य न करें।
15. सामाजिक समारोहों में उसे ले जाने से परहेज न करें लेकिन उसे अकेला न छोड़ें। ऐसे लोगों से उसे दूर ही रखें जो उसका मजाक उड़ाते हों।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।