scriptएक्सीडेंट में पहले 10 मिनट में इलाज मिलने पर बचने की संभावना अधिक | survival are higher if treatment is given in 10 minutes of an accident | Patrika News
रोग और उपचार

एक्सीडेंट में पहले 10 मिनट में इलाज मिलने पर बचने की संभावना अधिक

देश में ट्रॉमा के कारण होने वाली मृत्यु अन्य मौतों से अधिक होती हैं। आंकड़ों की बात करें तो हर वर्ष करीब 4.5 लाख मौतें, एक्सीडेंट्स के कारण होती हैं। इनमें से करीब दो लाख युवा होते हैंं, जिनकी उम्र 20-40 वर्ष के बीच होती है। वहीं, हर वर्ष करीब एक लाख लोग ट्रॉमा के चलते स्थाई रूप से दिव्यांग हो जाते हैं।

Sep 17, 2023 / 05:56 pm

Jyoti Kumar

accident.jpg

देश में ट्रॉमा के कारण होने वाली मृत्यु अन्य मौतों से अधिक होती हैं। आंकड़ों की बात करें तो हर वर्ष करीब 4.5 लाख मौतें, एक्सीडेंट्स के कारण होती हैं। इनमें से करीब दो लाख युवा होते हैंं, जिनकी उम्र 20-40 वर्ष के बीच होती है। वहीं, हर वर्ष करीब एक लाख लोग ट्रॉमा के चलते स्थाई रूप से दिव्यांग हो जाते हैं।

60 फीसदी की मृत्यु शुरुआती एक घंटे में
ट्रॉमा विशेषकर रोड एक्सीडेंट में जितनी भी मौतें होती हैं, उनमें 60 फीसदी की जान शुरू के पहले घंटे में चली जाती है। इनमें से भी करीब 50-60 फीसदी की मौतें शुरू के 10 मिनट में सही इलाज न मिलने के कारण चली जाती है। ऐसे में जरूरी होता है कि कोई भी ट्रॉमा हो तो मरीज को तत्काल मदद दी जानी चाहिए।

ऐसे समझें ट्रॉमा को
यह सामान्य बीमारी नहीं है। इसके लक्षण भी सामान्य नहीं होते हैं। यह स्थिति गहरे आघात, सामाजिक, मानसिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक व भावनात्मक जैसे किसी भी रूप में हो सकती है। ट्रॉमा के कई कारण होते हैं। शारीरिक ट्रॉमा का मतलब है, शरीर को कोई भी क्षति पहुंचना। ये सडक़ दुर्घटना, आग, जलना, गिरना, हिंसा की घटनाएं, प्राकृतिक आपदाएं आदि चीजों से हो सकती है।

क्या है सीपीआर?
कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) एक जीवन रक्षक तकनीक है, जो हार्ट अटैक या ट्रॉमा होने पर धडक़न बंद होने की आपात स्थितियों में उपयोगी है। दिल का दौरा पडऩे, एक्सीडेंट या डूबने के बाद सांस न आने पर सीपीआर देने से व्यक्ति के शरीर में रक्त और ऑक्सीजन का संचार संभव है।

यह है तरीका
आपात स्थिति में 100-120 प्रति मिनट की दर से 30 बार के अंतराल पर छाती को दबाते हैं। दोनों हाथ जोडक़र हथेली का निचला हिस्सा छाती पर लाएं और छाती के केंद्र के निचले आधे हिस्से पर रखकर दबाएं। बहुत तेज दबाव भी न डालें। हर 30 बार के बाद मुंह से मरीज के मुंह में सांस भरें।

ट्रॉमा दो तरह का हो सकता है, रोड एक्सीडेंट व डोमेस्टिक ट्रॉमा। रोड पर होने वाली जितनी भी दुर्घटनाएं हैं वे रोड एक्सीडेंट में आती हैं, जबकि घर में गिरना, चोट लगना, बुजुर्गों के फिसलकर गिरना, आग से जलना, छत या पेड़ से गिरना आदि डोमेस्टिक एक्सीडेंट में आता है।

यह करें
सबसे पहले चिकित्सीय मदद के लिए एम्बुलेंस बुलाएं।
फिर पीडि़त का नाम पुकारें और जानें कि होश में है या नहीं?
अगर पीडि़त होश में है तो उसे पूछताछ कर परेशान न करें।
अगर होश में नहीं है तो उसकी धडक़न की जांच करें।
धडक़न बंद है तो सीपीआर देना तत्काल शुरू करें।

यह न करें
थकान होने पर गाड़ी न चलाएं।
नींद या नशे में ड्राइव न करें।
यात्रा के लिए पर्याप्त समय तय करें। जल्दबाजी न करें।
जोखिम वाले काम जैसे बिजली के तार जोडऩा, पेड़ पर चढऩा सुरक्षा उपकरण लें।
बिल्डिंग वाले मजदूरों को भी सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल करना चाहिए।

Hindi News / Health / Disease and Conditions / एक्सीडेंट में पहले 10 मिनट में इलाज मिलने पर बचने की संभावना अधिक

ट्रेंडिंग वीडियो