लंबे समय तक नेट सर्फिंग करने, मैसेज टाइप करने और चलते हुए वाहन में बैठकर मोबाइल के स्क्रीन पर नजर गड़ाने से भी आंखों पर दबाव पड़ता है। युवा, स्मार्टफोन को आंखों के काफी नजदीक रखते हैं (10-12 इंच) जिससे निकट दृष्टि दोष होने की आशंका बढ़ जाती है।
इस जूस को पीने से सुराही जैसा ठंडा रहेगा पेट, कब्ज सहित कई बीमारियों के लिए है रामबाण
लंबे समय तक एक फिक्स स्थिति में स्क्रीन पर टकटकी लगाने से गर्दन की मांसपेशियों में कड़ापन भी आ जाता है। स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी हमारे शरीर में मेलाटोनिन का उत्पादन कम कर सकती है, जिससे नींद आने में दिक्कतहो सकती है।
डॉक्टरी राय: नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील गुप्ता के अनुसार स्मार्टफोन का प्रयोग करते समय पलकों को बार-बार झपकाएं। इसे एक बार में एक घंटे से ज्यादा प्रयोग ना करें। स्मार्टफोन यूज करते समय करीब एक फुट की दूरी रखें। ड्राई आई की समस्या में टियर सब्सटिट्यूट (आंखों में नमी के लिए) का दिन में 2-3 बार प्रयोग करें, इनका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता।
गर्मियों में शरीर को ठंडा रखने के लिए इस 5 हेल्दी फूड्स का करें सेवन, मिलेंगे शानदार रिजल्ट
अन्य समस्या
हड्डियों में दर्द बने रहना
ऑर्थोपेडिक एक्सपर्ट के अनुसार, लगातार कई घंटों तक फोन का इस्तेमाल करने से रूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि लोग घंटों तक फोन को हाथों में पकड़कर रहते हैं। इससे कलाई और कोहनी में दर्द हो जाता है। अगर ये दर्द लगातार बना रहता है तो रूमेटाइड आर्थराइटिस होने का खतरा रहता है।
मानसिक सेहत पर भी असर
डॉक्टर के अनुसार, स्मार्ट फोन को बिना जरूरत के इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। देखा जाता है कि लोग टाइम पास करने के लिए घंटों फोन का इस्तेमाल करते हैं, कोशिश करें कि दिन में डेढ़ घंटे से ज्यादा फोन का प्रयोग न करें। ऐसा न करने से मेंटल हेल्थ पर भी असर पड़ता है। खासतौर पर रात के समय फोन का यूज मानसिक सेहत को बिगाड़ सकता है।
चाय के साथ भूलकर भी नहीं खानी चाहिए ये 5 चीजें, सेहत के लिए है नुकसानदायक
नींद का पैटर्न होता है खराब
फोन के इस्तेमाल से स्लीप का पैटर्न भी खराब होता है। कई बच्चों को नींद न आने की समस्या हो जाती है। रात में फोन के इस्तेमाल से सोने के घंटे कम हो जाते हैं, जिसका सीधा असर सेहत पर पड़ता है। नींद बिगड़ने की वजह से सिरदर्द और पेट खराब होने जैसी समस्याएं भी हो रही हैं।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।