2-3 प्रतिशत लोगों में कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण इसका अभाव होता है। लेकिन यह सही है कि शरीर में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया भी शरीर के लिए एंटीबॉडी का काम कर बाहरी तत्त्वों को नष्ट करते हैं। यह विस्तृत शोध है जो कई स्टेज में पूरा होता है।
त्वचा रोगों में फायदेमंद
जिन मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है उनमें एमआरएसए इंफेक्शन के लिए ली गई दवाएं एक समय बाद बेअसर होने लगती हैं। इसका कारण इंफेक्शन का कारक बैक्टीरिया जिसमें भी अहम स्टैफ है, अनेक दवाओं के प्रभाव को बेअसर कर परेशानी को बढ़ाता रहता है। इससे त्वचा पर दाद, खुजली, घाव व फोड़े-फुंसियों की समस्या होने लगती है।
इनपर हुआ शोध
रिसर्च में शोधकर्ताओं ने करीब 10 चूहों को एमआरएसए इंफेक्शन के दो-दो इंजेक्शन लगाए। इनमें से केवल 5 को लग्ड्युनिन की सीमित डोज दी गई। निष्कर्ष के रूप में अगले तीन दिन में ही इनमें इंफेक्शन न के बराबर रह गया था। इसलिए शोधकर्ताओं ने प्राकृतिक तरीके से बनाए गए एंटीबायोटिक के बजाय व्यक्ति के शरीर के ही अच्छे बैक्टीरिया को सक्षम माना।