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नुकसान: कॉइल का धुंआ लगातार फेफड़ों में जाने से अस्थमा की शिकायत, सीओपीडी (फेफड़ों संबंधी रोग), आंखों में मोतियाबिंद व कान, नाक, गले संबंधित रोग हो सकते हैं। इसके अलावा अगर कमरा छोटा हो और हवा निकलने की ठीक व्यवस्था ना हो, तो ऑक्सीजन की कमी और कार्बन मोनो ऑक्साइड की अधिकता के कारण दम भी घुट सकता है।
ऐसे करें इस्तेमाल
इन्हें खतरा ज्यादा: कॉइल के धुएं से सबसे ज्यादा नुकसान गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और छोटे बच्चों को हो सकता है।
ये करें: कॉइल जलाते समय खिड़की-दरवाजे खोल दें या इसे जलाकर कमरे को बंद कर बाहर चले जाएं और आधे घंटे बाद खिड़की व दरवाजे खोलकर पंखा चला दें।
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कॉइल कैसे करता है काम
डॉक्टर के मुताबिक, मॉस्किटो रिपेलेंट्स में इस तरह के केमिकल होते हैं, जो कॉइल या अगरबत्ती को धीरे-धीरे जलाते हैं। ये दो तरह से काम करते हैं। इनमें जो कीटनाशक होते हैं, वे मच्छरों का सफाया कर देते हैं। वहीं, अगरबत्ती का सुगंधित पदार्थ मच्छरों को भगा देता है। अगर आप लिक्विड लगाते हैं तो यह भी सेफ नहीं है। इसमें एलेथ्रिन और एरोसोल पाया जाता है। यह कीटनाशी होने के साथ फेपड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसमें एक काले रंग की इलेक्ट्रोड रॉड लगी होती है, जो गर्म होने के बाद धुआं निकालती है। इससे फेफड़े प्रभावित होते हैं।
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क्या मच्छर वाली क्रीम है सही
एक्सपर्ट के मुताबिक, कई लोग खुद को या बच्चों को मच्छरों से बचाने के लिए क्रीम का इस्तेमाल करते हैं। यह भी पूरी तरह सेफ नहीं है। इससे कई नुकसान हो सकते हैं। इस क्रीम के ज्यादा इस्तेमाल से त्वचा का प्राकृतिक रंग बदल सकता है। इससे स्किन एलर्जी, रैशेज और खुजली की समस्या हो सकती है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।