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रोग और उपचार

कान बहने की होती हैं कई वजह, जानें इनके बारे में

Health news : Know about cholesteatoma disease : रुकावट आने पर सुनाई देने में कमी, हल्का दर्द या मवाद, कॉलेस्टेटोमा रोग का कारण बनती हैं। कान की बनावट का आधार है टेम्पोरल हड्डी। इससे जुुड़ा होता है कान का बाहरी हिस्सा, कान की नली व पर्दा, सुनने की तीन हड्डियां। इनमें रुकावट आने पर सुनाई देने में कमी, हल्का दर्द या मवाद, कॉलेस्टेटोमा रोग का कारण बनती हैं।

Aug 10, 2023 / 02:35 pm

Manoj Kumar

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Health news : Know about cholesteatoma disease

Health news : Know about cholesteatoma disease: रुकावट आने पर सुनाई देने में कमी, हल्का दर्द या मवाद, कॉलेस्टेटोमा रोग का कारण बनती हैं। कान की बनावट का आधार है टेम्पोरल हड्डी। इससे जुुड़ा होता है कान का बाहरी हिस्सा, कान की नली व पर्दा, सुनने की तीन हड्डियां। इनमें रुकावट आने पर सुनाई देने में कमी, हल्का दर्द या मवाद, कॉलेस्टेटोमा रोग का कारण बनती हैं।
प्रमुख जांचें –
कान का परीक्षण व रेडियोलॉजिकल एग्जामिनेशन के तौर पर एक्सरे, सीटी स्कैन, एमआरआई करते हैं। ऑडियोलॉजिकल चेकअप के तहत ऑडियोमेट्री, टेम्पेनोमेट्री, बेरा (ब्रेन इवोक्ड रेस्पॉन्स ऑडियोमेट्री) और ओएई टैस्ट करते हैं।

ऐसे बनती परेशानी –
जन्मजात कान की नली का बंद होना (ट्रेसिया) या इसमें फोड़ा, वैक्स जमा होना, कान की हड्डी में ट्यूमर, पर्दे में छेद या इसके पीछे पानी या मवाद भरना, संक्रमण से यूस्टेशियन ट्यूब के जरिए कान में मवाद भरने पर दबाव बढऩे से पर्दे में छेद होकर कान बहता है। कई बार ट्यूब में रुकावट से भी पर्दा अंदर की ओर धंसने लगता है। जिनमें एडेनॉइड्स, लंबे समय तक साइनस, यूस्टेशियन ट्यूब में ब्लॉकेज हो तो इस रोग की आशंका ज्यादा रहती है।
इलाज-
पर्दे में छेद या टॉन्सिल्स व एडेनॉइड्स बढ़े हुए हैं या साइनस व एलर्जी की परेशानी है तो इनका इलाज पहले लें। कान का पर्दा धंसा हो तो ग्लोमेट ट्यूब डालते हैं। गंभीर स्थिति में सर्जरी करते हैं।
जटिलताएं-
इससे दिमाग के ऊपरी हिस्से में झिल्ली पर असर होता है और मेनिनजाइटिस रोग हो जाता है।
कई मामलों में कान के पीछे त्वचा के गलने से इसमें छेद हो जाता है जिससे मवाद बाहर आ सकता है।
ध्यान रखें-
सर्जरी के बाद कान में पानी न जाने दें व बार-बार जुकाम, खांसी को नजरअंदाज न करें।

डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।

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