सातवीं-आठवीं शताब्दी की बसावट के संकेत
आबूरोड पुरातन चंद्रावती नगरी में अभेद्य दुर्ग की दीवार की नींव से सटकर गहराई
जयपुर•Feb 21, 2015 / 06:06 pm•
हजार साल पुराना चाकू व लाख की चूड़ी के
टुकड़े मिले
पुरातन चंद्रावती नगरी में उत्खनन जारी
आबूरोड पुरातन चंद्रावती नगरी में अभेद्य दुर्ग की दीवार की नींव से सटकर गहराई तक किए जा रहे उत्खनन के दौरान पुरानी बसावट का फर्श मिला है। यह सातवीं व आठवीं शताब्दी का प्रतीत होता है। साथ ही दक्षिण दिशा में लगाई गई ट्रेंच में आवासीय स्ट्रक्चर में उत्खनन के दौरान शनिवार को जंग खाया हुआ चाकू का फलक व लाख की चूड़ी के टुकड़े मिले।
समुद्र से रहा होगा ताल्लुक
उत्खनन की कमान सम्भाल रहे जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ के निदेशक डॉ. जीवन खरकवाल ने बताया कि अभेद्य दुर्ग की दीवार की नींव से सटकर गहराई तक किए जा रहे उत्खनन के दौरान पुरानी बसावट का फर्श मिला है, जो 7 व 8 वीं शताब्दी का होने का अनुमान है। समुद्री शेल मिलने का तात्पर्य है कि चंद्रावती व्यापार का बड़ा केन्द्र रहा होने से यहां के व्यापारियों का गुजरात के समुद्री किनारे के शहरों में जाना-आना रहता होगा। ऐसी स्थिति में ही ऐसे समुद्री शेल यहां आ सकते हैं।
शोधार्थी रोहित मेनारिया ने बताया कि इसी स्ट्रक्चर में से तांबे की रिंग व टेराकोटा की टिकडिय़ां भी मिली हैं। उधर, शोधार्थी जोगिन्दरसिंह की देखरेख में अभेद्य सुरक्षा दीवार की नींव से सटकर और गहराई में उत्खनन करने पर कांच की चूड़ी का ऐसा टुकड़ा मिला हैं जिस पर सफेद रंग से ऊभरी हुई व साइड में आकर्षक डिजायन बनी हुई है।
छात्रों ने किया अवलोकन
उदयपुर के मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के फैकल्टी चेयरपर्सन (ह्युमेनिटी) प्रो. मीना गौड़, इतिहास के विभागाध्यक्ष प्रो. दिग्विजय भटनागर व डॉ. प्रतिभा की अगुवाई में एमए द्वितीय सेमेस्टर के छात्रों ने चंद्रावती में अब तक खोले गए स्ट्रक्चरों का अवलोकन किया। सिरोही के अजित विद्या मंदिर के छात्रों के दल ने भी इन स्ट्रक्चरों का अवलोकन कर चंद्रावती के इतिहास के बारे में जानकारी ली।
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