कब जरूरी होती है सर्जरी
नवजात से १६ साल तक के बच्चों के ऑपरेशन पीडियाट्रिक सर्जरी में शामिल होते हैं। नवजात बच्चों में जन्मजात विकृतियां जैसे आंतों की रुकावट या शौच का रास्ता बंद होने पर सर्जरी होती है। कुछ बीमारियां जैसे हर्निया, आंतों का उलझना और सिर बड़ा होने पर भी नियोनेटल सर्जरी होती है। रोग व सर्जरी के अनुसार आवश्यक जांचें जैसे ब्लड इनवेस्टिगेशन, सोनोग्राफी व एक्स-रे आदि कराकर उसकी मेडिकल कंडीशन देखने के बाद ही सर्जरी की जाती है।
डरने की कोई बात नहीं
नियोनेटल और पीडियाट्रिक सर्जरी में तकनीक बहुत आगे बढ़ चुकी है। अब कुछ घंटों के लिए बच्चे को वेंटीलेटर पर रखकर उसे कृत्रिम सांस देने में भी कोई खतरा नहीं है। एक साल से ज्यादा उम्र के बच्चे की अपेंडिक्स, गॉल ब्लैडर स्टोन या सिस्ट की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी हो सकती है। इससे बच्चा जल्दी ठीक होता है। साथ ही अब ऐसी पेन कंट्रोल दवाइयां आ चुकी हैं जो नवजात शिशु को भी दी जा सकती है।
छोटे बच्चों को ज्यादा केयर की जरूरत
स र्जरी करने से पहले ब्लड की उपलब्धता होनी चाहिए। नवजात बच्चे की सर्जरी करते वक्त अगर ५० मिलिलीटर भी ब्लड लॉस होता है और खून की उपलब्धता नहीं होती तो यह बच्चे के लिए जानलेवा हो सकती है। इसके अलावा अस्पताल में नर्सरी केयर का पूरा इंतजाम है या नहीं, यह ध्यान दिया जाना चाहिए। नर्सरी में बच्चों को हाइजीनिक वातावरण मिलता है, साथ ही उसका टेंप्रेचर भी कंट्रोल होता है।
इंफेक्शन ना हो
ऑ परेशन के बाद बच्चे को संक्रमण रहित माहौल देना जरूरी होता है इसलिए कम से कम लोग ही नर्सरी में जाएं। पैरेंट्स अपनी साफ-सफाई जैसे हाथ धोना आदि का ध्यान रखें। इनक्यूबेटर्स पर रखकर बच्चे का तापमान नियंत्रित करना जरूरी है। बच्चे को एंटीबायोटिक भी देनी चाहिए। सर्जरी के पहले और बाद में बच्चे को स्तनपान कराते रहना चाहिए। इसके अलावा सर्जरी के बाद माता-पिता को बच्चे के यूरिन आउटपुट का भी ध्यान रखना चाहिए।