कॉर्निया दरअसल आंखों की ऊपरी परत होती है। यह स्पष्ट और गुंबदनुमा सतह होती है जो आंख के सामने वाले हिस्से को कवर करती है। शरीर के अन्य ऊत्तकों के विपरीत कॉर्निया की संक्रमण से सुरक्षा या पोषण के लिए इसमें कोई रक्तनलिका नहीं होती। इसके बजाय कॉर्निया अपने पीछे बने चैंबर में आंसुओं और आंखों के पानी से ही पोषित होता रहता है।
कॉर्निया में खराबी से यदि किसी की दृष्टि चली जाती है तो उसकी आंख के उस हिस्से में केराटोप्लास्टी तकनीक या लैमेलर केराटोप्लास्टी तकनीक से स्वस्थ कॉर्निया प्रत्यारोपित किया जाता है। लेकिन कॉर्निया प्रत्यारोपण में सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि स्वस्थ व्यक्ति के नेत्रदान पर ही कॉर्निया का प्रत्यारोपण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
अच्छी दृष्टि के लिए कॉर्निया की सारी परतों का धुंधलाहट से मुक्त होना जरूरी होता है। जब किसी रोग, जख्म, संक्रमण के कारण कॉर्निया पर धुंधली परत जम जाती है तो हमारी दृष्टि खत्म या कमजोर पड़ जाती है। लैमिलर ग्राफ्ट तकनीक से कॉर्निया की अलग-अलग परतों का प्रत्यारोपण संभव हो पाया है।
कॉर्निया दृष्टिहीन लोगों के लिए सबसे बड़ी बाधा है कि स्वस्थ व्यक्तिनेत्रदान के लिए आगे नहीं आते। यही वजह है कि देश में हर साल 25 से 30 हजार कॉर्निया दृष्टिहीनता के मामले बढ़ते जा रहे हैं। मृत्यु के कुछ घंटों बाद तक कॉर्निया स्वस्थ रहता है जिसे नेत्रहीन व्यक्तिमें प्रत्यारोपित किया जा सकता है।
– आंखों को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन, प्रोटीन, आयरनयुक्त खान-पान लेना चाहिए। इसके अलावा हरी सब्जियां और गाजर, मूली, टमाटर, खीरा भी खाना चाहिए।
– फलों में सेब, संतरा, पपीता, आम, अमरूद, अनार जैसे फलों का चयन आपकी आंखों को भी सलामत रखेगा।