दूध के फायदे पर नए सवाल New questions on the benefits of milk
The Hidden Risks of Drinking Too Much Milk : पारंपरिक आहार दिशानिर्देशों के अनुसार, किशोरों और वयस्कों को तीन सर्विंग दूध (Milk) पीने की सलाह दी जाती है। लेकिन 2020 में न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक समीक्षा में हार्वर्ड के प्रोफेसरों डेविड लुडविग और वाल्टर विलेट ने दूध के असली लाभों पर सवाल उठाए हैं, खासकर वयस्कों के लिए। उन्होंने यह भी बताया कि जो देश सबसे ज़्यादा दूध (Milk) का उपभोग करते हैं, वहां कूल्हे की हड्डी टूटने की दर भी सबसे ज्यादा होती है। इससे यह मान्यता चुनौतीपूर्ण हो जाती है कि दूध हड्डियों को मज़बूत करता है। इसके अलावा, अत्यधिक दूध पीने से प्रोस्टेट और एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है।
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डॉ. विलेट के अनुसार, दूध के साथ आने वाले अन्य तत्वों पर ध्यान देना ज़रूरी है। फुल-फैट दूध (Milk) में संतृप्त वसा (सैचुरेटेड फैट) होती है, जो हानिकारक हो सकती है, जबकि लो-फैट विकल्प से भूख जल्दी लग सकती है और इससे ओवरईटिंग हो सकती है।
पौधों पर आधारित दूध जैसे सोया या बादाम का दूध लोकप्रिय हो रहे हैं, लेकिन इनमें अक्सर चीनी मिलाई जाती है। इसलिए, वयस्कों के लिए दूध अनिवार्य नहीं है। डॉ. विलेट और लुडविग ने अन्य कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, टोफू और फोर्टिफाइड जूस को बेहतर विकल्प बताया है।
भारत में दूध की गुणवत्ता पर चिंता
भारत, जो दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, यहां दूध की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। न्यू दिल्ली की पोषण विशेषज्ञ पलक नागपाल के अनुसार, “आज का दूध वैसा नहीं है जैसा हमारे पूर्वज पीते थे। हमारे दादा-दादी को दूध (Milk) पीने से गैस या लैक्टोज इन्टोलरेंस जैसी समस्याएं नहीं होती थीं, लेकिन आज यह आम हो गया है। अंतर यह है कि तब दूध घरेलू गायों से आता था, आज यह बड़े पैमाने पर उत्पादित होता है।”