scriptजिले के पांच ब्लॉकों के भूजल स्तर में रिकॉर्ड वृद्धि | Record rise in ground water level of five blocks of the district | Patrika News
धौलपुर

जिले के पांच ब्लॉकों के भूजल स्तर में रिकॉर्ड वृद्धि

इस बार अमृत वर्षा हुई तो धौलपुर की धरा का घड़ा झलक उठा। रिकॉर्ड बारिश के कारण इस वर्ष जिले के भूजल स्तर में जबरदस्त इजाफा हुआ है। गत 6 वर्ष की तुलना इस वर्ष जिले के तीन ब्लॉकों में भूजल स्तर में 6 मीटर की वृद्धि हुई है।

धौलपुरDec 23, 2024 / 05:40 pm

Naresh

जिले के पांच ब्लॉकों के भूजल स्तर में रिकॉर्ड वृद्धि Record increase in groundwater level in five blocks of the district
धौलपुर ब्लॉक में २०.७० तो सबसे अधिक बसेड़ी में २१.९७ फीट भूजल में इजाफा

इस सीजन रिकॉर्ड १३०० मिमी से ज्यादा बारिश का रहा असर

धौलपुर.सूखी धरती पर इस बार अमृत वर्षा हुई तो धौलपुर की धरा का घड़ा झलक उठा। रिकॉर्ड बारिश के कारण इस वर्ष जिले के भूजल स्तर में जबरदस्त इजाफा हुआ है। गत 6 वर्ष की तुलना इस वर्ष जिले के तीन ब्लॉकों में भूजल स्तर में 6 मीटर की वृद्धि हुई है। यानी धरती की कोख में 20 फीट से ज्यादा पानी इक_ा हुआ है। तो वहीं दो ब्लॉकों में भी जल स्तर में वृ़द्धि रिकॉर्ड की गई है।जिले में इस सीजन मानसून ने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 1300 मिमी से ज्यादा बारिश दर्ज की गई थी। जिससे चहुंओर नदी, तालाब और डैम तक तरबतर हो गए थे। अच्छी बारिश ने जहां जमकर बताही मचाई थी, तो वहीं भू वैज्ञानिक इस बारिश से जिले के भूजल स्तर में वृद्धि की भी बात कह रहे थे। जिसका परिणाम मानसून के बाद पोस्ट भूजल मापीकरण के बाद सामने आ गया है। जिले के 5 ब्लॉकों में से तीन ब्लॉकों में 20 फीट से ज्यादा जल स्तर में बढ़ोत्तरी हुई है। सबसे ज्यादा भूजल की वृद्धि बसेड़ी में दर्ज हुई है। जहां इस सीजन आसमान से 6.69 मीटर पानी धरा के घड़ा में समा गया। यानी 21.94 फीट पानी की वृद्धि बसेड़ी में हुई। तो वहीं धौलपुर ब्लॉक की बात करें तो मानसून प्री के दौरान धौलपुर का जलस्तर 26.03 मीटर था मानसून पोस्ट के बाद 19.72 पर आ गया। यानी 6.31 मीटर जल स्तर बढ़ा। इस पानी को फीट में कन्वर्ट करें तो धौलपुर ब्लॉक का जलस्तर इस सीजन 20.70 फीट तक बढ़ चुका है। अब बाड़ी ब्लॉक की बात करें तो इस वर्ष 6.29 मीटर पानी का संचय हुआ। फीट के हिसाब से यह 20.63 फीट है। इन ब्लॉकों के अलावा राजाखेड़ा में भी बेहतर बारिश का परिणाम देखने को मिला है। राजाखेड़ा ब्लॉक में इन तीन ब्लॉकों की अपेक्षा थोड़ा कम पानी संचय हुआ है। यहां 5.49 मीटर जल स्तर में वृद्धि हुई है यानी 18.011 फीट। जिले में सैंपऊ एक ऐसा ब्लॉक रहा जहां 5 मीटर से कम जल स्तर बढ़ा यहां इस बार 3.76 मीटर भूजल मेें वृद्धि हुई।
2021 में बढऩे के बजाय घटा जलस्तर

धौलपुर जिले के भूजल स्तर की बात करें तो पिछले 6 वर्षों में सबसे ज्यादा खराब हालात 2021 में रहे। तब दो ब्लॉक बसेड़ी और धौलपुर का जलस्तर पोस्ट मानसून के बाद भी घटा। बसेड़ी में मानसून से पहले 10.75 मीटर भूजल था। बसे मानसून पोस्ट के बाद भी 11.06 पर आ गया। यानी 1.17 फीट पानी की दर्ज की गई। तो वहीं धौलपुर ब्लॉक में प्री के दौरान 12.50 मीटर जल स्तर था, जो मानसून पोस्ट के बाद 13.09 पर आ गया। इसके हिसाब से 1.93 फीट जलस्तर कम हुआ। इस सीजन कम बारिश और पानी संचय ना होने के कारण तीन ब्लॉकों बाड़ी, राजाखेड़ा और सैंपऊ के जलस्तर में कुछ खास इजाफा नहीं हुआ था।
राजाखेड़ा में 2022 और 23 में भी कम हुआ भूजल

भूजल स्तर के आंकड़े बताते हैं कि 2021 के अलावा 2022 में राजाखेड़ा का जल स्तर बढऩे के बजाय 2.32 मीटर कम हो गया। यानी 7.61 फीट जल स्तर में कमी आई। जिसका कारण कम बारिश और पानी का संचय करना बताया गया। तो वहीं 2023 में भी राजाखेड़ा ब्लॉक में पोस्ट मानसून के बाद 1 मीटर भूजल में कमी दर्ज की गई। फीट के हिसाब से यह 3.28 दर्ज किया गया। जो अपने आप में अचंभित था।
पेयजल का मुख्य स्रोत भूगर्भ जल :विशेषज्ञ

भूजल विशेषज्ञ हरेन्द्र शर्मा के मुताबिक भू-जल स्तर को फिर से जीवंत करने में वर्षा जल मदद करता है। पेयजल का मुख्य स्रोत भूगर्भ जल ही है। भू-जल वह जल होता है जो चट्टानों और मिट्टी से रिस जाता है और भूमि के नीचे जमा हो जाता है। जिन चट्टानों में भू-जल जमा होता है, उन्हें जलभृत कहा जाता है। भारी वर्षा से जल स्तर बढ़ सकता है और इसके विपरीतए भू-जल का लगातार दोहन करने से इसका स्तर गिर भी सकता है। इस वर्ष अच्छी बारिश के कारण ही भूजल में वृद्धि देखने को मिली है।
साल में दो बार मापा जाता है भूजल

भूजल विभाग प्रत्येक साल भूजल स्तर का मापीकरण करता है। यह दो प्रकार से किया जाता है। पहला भूजल मापीकरण मानसून से पहले किया जाता है जिससे यह पता लग सके कि मानसून से पहले कितना जलस्तर है। इस प्री मापीकरण कहा जाता है। तो दूसरा मानसून समाप्त होने के बाद भूजल का स्तर मापा जाता है। जिसे पोस्ट मापीकरण कहा जाता है।प्रकृति ने बढ़ाया भूजल, अब संभालने की जिम्मेदारी हम सबकी:: धीमी और लगातार बारिश ने क्षेत्र के भूजल स्तर को बढ़ाया है। यह सूखे प्रभावित क्षेत्रों के लिए बड़ी राहत है।:: भूजल स्तर में वृद्धि होने से क्षेत्र के सूखे हुए जल स्रोतों में फिर से पानी आना शुरू हो गया है। बस जरूरी यह है कि भूजल स्तर बढ़ाने के लिए भी प्रयास निरंतर हो।
:: शहरी क्षेत्रों में खुली जगहों की कमी के कारण अधिकांश क्षेत्रों मेंं जलभराव हुआ। कच्चे नाले खत्म हो गए हैं। रोड सीमेंट की बन रही हैं। इससे पानी जमीन नहीं सोख पाती।

:: भूजल स्तर में वृद्धि लोगों को इसका अत्यधिक दोहन करने के लिए प्रेरित कर सकती है।:: भूजल के अत्यधिक दोहन को रोकने के लिए जल संसाधन प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए।
:: नदी, तालाबों का पुनर्जीवन करके सतही जल संग्रहण को ज्यादा बढ़ावा दें।2024 में पांच ब्लॉकों का जलस्तरब्लॉक जलस्तर मी. फीटबाड़ी ८.२९ २०.६३

बसेड़ी ६.६९ २१.९४

धौलपुर ६.३१ २०.७०राजाखेड़ा ५.४९ १८.०११

सैंपऊ ३.७८ १२.३२2023 में पांच ब्लॉकों का जलस्तरब्लॉक जलस्तर मी. फीटबाड़ी १.७८ ५.८३
बसेड़ी १.७२ ५.६४

धौलपुर ३.६३ ११.९०राजाखेड़ा -१ -३.२८सैंपऊ १.९९ ६.२५

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