2021 में बढऩे के बजाय घटा जलस्तर धौलपुर जिले के भूजल स्तर की बात करें तो पिछले 6 वर्षों में सबसे ज्यादा खराब हालात 2021 में रहे। तब दो ब्लॉक बसेड़ी और धौलपुर का जलस्तर पोस्ट मानसून के बाद भी घटा। बसेड़ी में मानसून से पहले 10.75 मीटर भूजल था। बसे मानसून पोस्ट के बाद भी 11.06 पर आ गया। यानी 1.17 फीट पानी की दर्ज की गई। तो वहीं धौलपुर ब्लॉक में प्री के दौरान 12.50 मीटर जल स्तर था, जो मानसून पोस्ट के बाद 13.09 पर आ गया। इसके हिसाब से 1.93 फीट जलस्तर कम हुआ। इस सीजन कम बारिश और पानी संचय ना होने के कारण तीन ब्लॉकों बाड़ी, राजाखेड़ा और सैंपऊ के जलस्तर में कुछ खास इजाफा नहीं हुआ था।
राजाखेड़ा में 2022 और 23 में भी कम हुआ भूजल भूजल स्तर के आंकड़े बताते हैं कि 2021 के अलावा 2022 में राजाखेड़ा का जल स्तर बढऩे के बजाय 2.32 मीटर कम हो गया। यानी 7.61 फीट जल स्तर में कमी आई। जिसका कारण कम बारिश और पानी का संचय करना बताया गया। तो वहीं 2023 में भी राजाखेड़ा ब्लॉक में पोस्ट मानसून के बाद 1 मीटर भूजल में कमी दर्ज की गई। फीट के हिसाब से यह 3.28 दर्ज किया गया। जो अपने आप में अचंभित था।
पेयजल का मुख्य स्रोत भूगर्भ जल :विशेषज्ञ भूजल विशेषज्ञ हरेन्द्र शर्मा के मुताबिक भू-जल स्तर को फिर से जीवंत करने में वर्षा जल मदद करता है। पेयजल का मुख्य स्रोत भूगर्भ जल ही है। भू-जल वह जल होता है जो चट्टानों और मिट्टी से रिस जाता है और भूमि के नीचे जमा हो जाता है। जिन चट्टानों में भू-जल जमा होता है, उन्हें जलभृत कहा जाता है। भारी वर्षा से जल स्तर बढ़ सकता है और इसके विपरीतए भू-जल का लगातार दोहन करने से इसका स्तर गिर भी सकता है। इस वर्ष अच्छी बारिश के कारण ही भूजल में वृद्धि देखने को मिली है।
साल में दो बार मापा जाता है भूजल भूजल विभाग प्रत्येक साल भूजल स्तर का मापीकरण करता है। यह दो प्रकार से किया जाता है। पहला भूजल मापीकरण मानसून से पहले किया जाता है जिससे यह पता लग सके कि मानसून से पहले कितना जलस्तर है। इस प्री मापीकरण कहा जाता है। तो दूसरा मानसून समाप्त होने के बाद भूजल का स्तर मापा जाता है। जिसे पोस्ट मापीकरण कहा जाता है।प्रकृति ने बढ़ाया भूजल, अब संभालने की जिम्मेदारी हम सबकी:: धीमी और लगातार बारिश ने क्षेत्र के भूजल स्तर को बढ़ाया है। यह सूखे प्रभावित क्षेत्रों के लिए बड़ी राहत है।:: भूजल स्तर में वृद्धि होने से क्षेत्र के सूखे हुए जल स्रोतों में फिर से पानी आना शुरू हो गया है। बस जरूरी यह है कि भूजल स्तर बढ़ाने के लिए भी प्रयास निरंतर हो।
:: शहरी क्षेत्रों में खुली जगहों की कमी के कारण अधिकांश क्षेत्रों मेंं जलभराव हुआ। कच्चे नाले खत्म हो गए हैं। रोड सीमेंट की बन रही हैं। इससे पानी जमीन नहीं सोख पाती। :: भूजल स्तर में वृद्धि लोगों को इसका अत्यधिक दोहन करने के लिए प्रेरित कर सकती है।:: भूजल के अत्यधिक दोहन को रोकने के लिए जल संसाधन प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए।
:: नदी, तालाबों का पुनर्जीवन करके सतही जल संग्रहण को ज्यादा बढ़ावा दें।2024 में पांच ब्लॉकों का जलस्तरब्लॉक जलस्तर मी. फीटबाड़ी ८.२९ २०.६३ बसेड़ी ६.६९ २१.९४ धौलपुर ६.३१ २०.७०राजाखेड़ा ५.४९ १८.०११ सैंपऊ ३.७८ १२.३२2023 में पांच ब्लॉकों का जलस्तरब्लॉक जलस्तर मी. फीटबाड़ी १.७८ ५.८३
बसेड़ी १.७२ ५.६४ धौलपुर ३.६३ ११.९०राजाखेड़ा -१ -३.२८सैंपऊ १.९९ ६.२५