scriptचंबल के बीहड़ों में खुलेंगे विकास के नए रास्ते | New avenues of development will open in the ravines of Chambal, the Sevar Ghat bridge which has been pending for three decades is likely to start from next year | Patrika News
धौलपुर

चंबल के बीहड़ों में खुलेंगे विकास के नए रास्ते

करीब 3 दशक से डांग क्षेत्र के सेवर घाट पर पुल बनने का ख्वाब देख रहे धौलपुर जिले के लोगों का सपना जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है। क्योंकि निर्माणाधीन पुल का 80 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है।

धौलपुरDec 18, 2024 / 07:00 pm

Naresh

चंबल के बीहड़ों में खुलेंगे विकास के नए रास्ते New avenues of development will open in the ravines of Chambal
 तीन दशक से लटके सेवर घाट पुल के अगले साल से शुरू होने की संभावना

– राजस्थान को जोड़ेगा एमपी के मुरैना जिले से

नरेश लवानियां

धौलपुर. करीब 3 दशक से डांग क्षेत्र के सेवर घाट पर पुल बनने का ख्वाब देख रहे धौलपुर जिले के लोगों का सपना जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है। क्योंकि निर्माणाधीन पुल का 80 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। पुल के लिए 13 पिलर खड़े हो चुके हैं। पिलरों पर 13 स्पान डाले जाने हैं जिनमें से 7 स्पान डाले जा चुके हैं और शेष की तैयारी चल रही है।

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मप्र के चंबल और राजस्थान क्षेत्र के बीच बार्डर बनी चंबल नदी को पार करना अब आसान होता जा रहा है। अगले वर्ष मार्च-अप्रेल तक सेवर पुल का भी निर्माण होने की उम्मीद है। जिससे धौलपुर जिले के लोगों के लिए एमपी के कैलारस, सबलगढ़, जौरा, विजयपुर और श्योपुर जाना आसान होगा। तो वहीं मुरैना जि़ले के लोगों को बाड़ी, सरमथुरा, करौली, भरतपुर और जयपुर जाने के लिए शॉर्टकट रूट मिल जाएगा। साथ ही मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच व्यापार का नया बाज़ार भी तैयार होगा।
मध्य प्रदेश के जौरा-कैलारास की दूरी 100 किमी घटेगी

बाड़ी, बसेड़ी और सरमथुरा क्षेत्र के लोगों का मप्र के जौराए कैलारस और सबलगढ़ जाने के लिए मुरैना धौलपुर होकर जाना पड़ता है। इसके लिए 160 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है। सेवर घाट पुल बनने के बाद जौरा से बाड़ी की दूरी 60 किलोमीटर रह जाएगी। यानी 100 किमी का फेर बचेगा। तो सेवर-पाली से जहां मुरैना-सबलगढ़ मार्ग से दूरी 100 किलोमीटर से अधिक है वहीं पुल के माध्यम से यह दूरी केवल 15 किलोमीटर ही रह जाएगी।
32 साल पहले अधूरा छोड़ा था पुल

चंबल नदी के सेवरघाट पुल पर राजस्थान सरकार ने 1988 में भी पुल निर्माण को स्वीकृति दी थी। लगभग 11 करोड़ रुपए के बजट से पुल का निर्माण भी शुरू हुआ था। 682 मीटर लंबे इस पुल का 251 मीटर लंबा हिस्सा राजस्थान सीमा में तो बन गया था लेकिन मप्र में चंबल घडिय़ाल अभ्यारण की एनओसी नहीं मिलने के कारण 1992 में सेवरघाट पुल का काम बंद हो गया। बाद में इस पुल की ऊंचाई को लेकर भी विवाद हुआ और फिर निर्माण दोबारा शुरू नहीं हो सका। इसी अधूरे पुल के पास ही चंबल नदी के जल तल से 25 मीटर ऊंचा नया पुल बनया जा रहा है।
बाढ़ के दौरान नहीं रुकेगा आवागमन

परियोजना अधिकारी संतोष कुमार ने बताया कि अगले वर्ष मार्च तक पुल का काम पूरा हो जाएगा। मप्र सीमा में चंबल के पुल के पांच पिलर हैं तो 08 पिलर राजस्थान सीमा में हैं। इस पुल की लम्बाई 720 मीटर है और 12 मीटर चौड़ाई का यह पुल 25 मीटर ऊंचाई का बनाया जा रहा है। जिससे भारी बारिश से बाढ़ के हालात बनने पर आवागमन में कोई दिक्कत नहीं आएगी। पुल के दोनों और 800 मीटर की एप्रोच रोड डाली गई है जो मध्य प्रदेश साइट में कैलारस की तरफ है 200 मीटर और राजस्थान की तरफ 600 मीटर है।
– सेवर घाट पुल बनने के बाद बाड़ी से जौरा (एमपी) की दूरी 60 किलोमीटर रह जाएगी। इससे 100 किलोमीटर का सफर बचेगा।

– इस पुल से राजस्थान से मध्य प्रदेश के लिए लाल पत्थर, कोटा स्टोन, मार्बल का कारोबार बढ़ेगा।
– जयपुर से किराना और करौली से कपड़े का कारोबार सबलगढ़, जौरा, कैलारस और विजयपुर तक आसान होगा।

– इस पुल से परिवहन भाड़ा और समय दोनों बचेंगे।

– इस पुल से धौलपुर जिला के बाड़ी और बसेड़ी के लोगों को फायदा होगा।
– अभी सेवर घाट से मप्र में पहुंचने के लिए लोग नाव का सहारा लेते हैं।

———-फैक्ट फाइल

पुल की लागत: 76 करोड़ रुपए

पुल की लंबाई: 720 मीटर

पुल की चौड़ी: 12 मीटर
पुल की ऊंचाई: 25 मीटर

पिलरों की संख्या: 13 पिलर

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