सरपंच प्रतिनिधि का कहना है कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है। इसे आर्टिजन बोर कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर बारिश के चलते जमीन के अंदर किसी एक जगह पर ढ़ेर सारा पानी जमा हो जाता है और लगातार पानी जमा होने के कारण अंदर ही अंदर दबाव बढने लगता है। जब पानी का दबाव काफी ज्यादा हो जाता है तो वह ऊपर की तरफ उठने की कोशिश करता है। ऐसे में दबाव क्षेत्र के आसपास यदि कोई बोर या ट्यूबवैल होता है तो पानी उसके अंदर से बाहर निकल आता है। क्षेत्र के झिरी गांव में लगे तीन हैंडपंप व दो कुआं ऐसे ही स्वयं पानी उगल रहे है। जिले में अकेले झिरी गांव में ऐसा मामला सामने आया है जिनमें हैंडपंप एवं कुआं से स्वत: पानी निकाल रहा है। जिसका सबसे अधिक फायदा बुजुर्ग लोगों को मिल रहा है। पितृ पक्ष यानी श्राद्ध पक्ष चल रहा है। ऐसे में लोग अपने पितरों को तर्पण देने के लिए पवित्र जगहों जैसे कुआं, हैण्डपंप, तालाब, बावड़ी का रुख करते है। लेकिन हैण्डपंप से स्वत: ही निकल रहे पानी से लोग तर्पण कर रहे है। श्राद्ध पक्ष में इसका महत्व बढ़ गया है। सरपंच प्रतिनिधि संजूसिंह जादौन ने कहा कि तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं पितरों का भी खूब आशीर्वाद बरसता है।