scriptDholpur News: मानसून पीछे छोड़ गया दर्द की दास्तां, इस सीजन हुई रिकॉर्ड बारिश | Dholpur Monsoon left behind a tale of pain, record 173.90 mm rainfall this season | Patrika News
धौलपुर

Dholpur News: मानसून पीछे छोड़ गया दर्द की दास्तां, इस सीजन हुई रिकॉर्ड बारिश

राजस्थान के धौलपुर जिले से मानसून की विदाई 5 अक्टूबर को हो चुकी है। इस बार मानसून ने राज्य सहित जिले भर में त्राहि-त्राहि मचा दी।

धौलपुरOct 10, 2024 / 02:59 pm

Lokendra Sainger

राजस्थान के धौलपुर जिले से मानसून की विदाई 5 अक्टूबर को हो चुकी है। इस बार मानसून ने राज्य सहित जिले भर में त्राहि-त्राहि मचा दी। रिकॉर्ड पानी इस बार धौलपुर की धरा पर गिरा। सिंचाई विभाग के अनुसार जिले में इस बार 173.90 प्रतिशत बारिश रेकॉर्ड की गई। मानसून विदा हो गया लेकिन अपने पीछे खौफनाक कहानी की दास्तां छोड़ गया।
5 अक्टूबर को जिले से मानसून की विदाई हो चुकी है। लेकिन इस सीजन मानसूनी बारिश ने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त करते हुए, जहां नए आयाम स्थापित किए। वहीं, आसमानी बारिश से माल हानि के साथ कई लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी और न जाने कितनों के सिर से छत छिन गई। इस मानसूनी सीजन में रेकॉर्ड 1130.38 एमएम बारिश दर्ज की गई। जो कि धौलपुर के इतिहास की सबसे अधिक बारिश दज हुई। हालांकि धौलपुर की औसत वर्षा 650 एमएम है इसके हिसाब से जिले भर में 173.90 प्रतिशत एमएम बारिश हुई।

राजाखेड़ा में सबसे अधिक बारिश

बारिश ने धौलपुर शहर सहित जिले भर को तरबतर कर दिया। सबसे अधिक बारिश की बात करें तो राजाखेड़ा तहसील में सबसे अधिक 1390 एमएम बारिश दर्ज की गई। तो सबसे कम आंगई में 832 एमएम पानी आसमान से गिरा।
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पांच तहसीलों में एक हजार एमएम से ज्यादा बारिश

धौलपुर सहित जिले की पांच तहसीलों जिनमें बाड़ी, बसेड़ी, राजाखेड़ा और सैपऊ में 1000 एमएम से अधिक बारिश रेकॉर्ड की गई। इनमें धौलपुर में 1179, बाड़ी में 1139, बसेड़ी 1180, सैपऊ में 1003 और राजाखेड़ा में 1390 एमएम बारिश हुई। जिस कारण इन तहसीलों के अधिकतर क्षेत्र पानी से जलमग्न हो गए। और भारी संया में इन क्षेत्रों में जान मान की हानि देखनी को मिली।

जान और माल का हुआ नुकसान

इस सीजन मानसूनी बारिश ने जिले भर में गदर मचा दिया। चहुंओर पानी ही पानी नजर आाया। इस आसमानी आफत के कारण आधा दर्जन लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी तो वहीं इससे अछूते पशु भी नहीं रहे। दर्जनों पशु भी बारिश की भेंट चढ़ गए। सैकड़ों हेक्टेयर खरीफ की फसल जलभराव के कारण बर्बाद हो गई। जिससे अब अन्नदाता के सामने भी पेट भरने का संकट खड़ा हुआ है।

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