दैनिक यात्रा समिति से जुड़े लोगों ने बताया कि वह जिन स्थानों पर उत्तर प्रदेश के आगरा, मथुरा एवं मध्य प्रदेश के मुरैना, ग्वालियर में जिन निजी स्थानों पर काम करते है, वहां से उन्हें काम करने के लिए बुलाया जा रहा है। लेकिन धौलपुर से इन स्थानों तक पहुंचने के लिए ना तो रोडवेज व निजी बसें चल रही है, और ना ही ट्रेन की सुविधा है। ऐसे में अगर व्यक्ति सड़क के रास्ते अपने निजी वाहनों आने-जाने को मजबूर बने हुए है। लोगों ने बताया कि अधिकांश फैक्ट्रियों में रहने की सुविधा नहीं हैं, जिससे वे वहां नहीं रह सकते, और वे स्वयं किराए पर कमरा लेकर रहना भी चाह रहे हैं, तो इन दिनों कोई उन्हें किराए पर मकान देने को भी तैयार नहीं है। कुछ लोगों ने यह भी बताया कि वे जिस तरह का काम जानते हैं, वैसा काम धौलपुर में उपलब्ध भी नहीं है। इसके चलते वे चाहकर भी धौलपुर में काम नहीं कर पा रहे हैं।
जिले में बड़ी संख्या में लोग प्रति दिन आवागमन करने वालों में शामिल है। ये लोगों अधिकांश निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठानों में काम करने वाले हैं। करीब दो माह से रोजगार से वंचित होने के चलते निजी क्षेत्र के कामगारों के सामने जहां आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है, वहीं फैक्ट्री मालिकों द्वारा उनके स्थान पर किसी अन्य को काम पर रख लिए जाने से वे बेरोजगार भी हो जाएंगे। इसलिए हर किसी को नौकरी जाने का डर सता रहा है। ऐसी ही स्थिति स्थानीय व्यापारियों की है। राजाखेड़ा, मनियां, धौलपुर शहर, सैपऊ, बाड़ी, बसेड़ी व सरमथुरा के अधिकांश व्यापारियों का व्यापार पड़ोसी प्रदेश के जिलों टिका हुआ है, आवागमन के साधनों की कमी के कारण व्यापारियों को खासा परेशानी उठानी पड़ रही है।
दैनिक यात्री सेवा समिति के महासचिव गोपाल दुबे ने बताया कि दैनिक यात्रा करने वाले लोगों को आ रही परेशानी के चलते राज्य के मुख्यमंत्री, सांसद व विधायक सहित जिला कलक्टर को भी मेल भेज कर इस समस्या से अवगत कराया है। प्रतिदिन यात्रा करने वालों में अनेक तो विभिन्न राज्य सरकारों व केन्द्र सरकार के कर्मचारी भी शामिल हैं। ऐसे में रोडवेज व निजी बसों का संचालन पड़ोसी प्रदेश के जिलों के लिए खुलना चाहिए, ताकि लोगों को राहत मिल सके।
पुनीत कुमार, प्रबंधक यातायात, धौलपुर डिपो
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परौआ स्कूल में प्रधानाचार्