कोर्ट ने ये सुनाया निर्णय कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आनंद नगर कॉलोनी के सीवरेज पानी का स्थाई समाधान नहीं कर दिया जाता है, तब तक अस्थाई रूप से सीवरेज के पानी को सकर मशीन या पंपसेट लगाकर निकासी की व्यवस्था की जाए। किसी भी सूरत में यह पानी आम रास्ते या लोगों के घरों में नहीं जाए। निर्णय की पालना आदेश के अगले दिन से हो। साथ ही सडक़ व नाली का निर्माण एक माह में कराया जाए। फैसले में कहा कि नगर परिषद तुरंत प्रभाव से गंदे पानी की निकासी नहीं करती है तो नगर परिषद आयुक्त के वेतन से एक हजार रुपए प्रतिदिन आनंद नगर के मोहल्लेवासियों की ओर से खुलवाए गए नए संयुक्त बैंक खाते में जमा कराए जाएं। कोर्ट ने जिला कलक्टर को आदेश दिया कि वह कार्य की निगरानी के लिए फोटो ग्राफ व वीडियोग्राफी कराने के लिए एक कमेटी का गठन करें। जो साप्तहिक रूप से कोर्ट को रिपोर्ट पेश करेगी। कमेटी अगर झूठी रिपोर्ट पेश करती है तो इसकी जिम्मेदारी जिला कलक्टर की होगी। वहीं कोर्ट ने इलाके के लोगो ंको जो मानसिक पीडा हुई है उसके लिए नगर परिषद पर एक लाख रुपए का अर्थदण्ड लगाया है। कोर्ट में उक्त प्रकरण कॉलोनी निवासी राजेन्द्र प्रसाद शर्मा, लाखन सिंह, नत्थीलाल शर्मा, रामसेवक, रामदत्त, नीरज कुमार, राहुल सिंह, विशम्भर, भूरा सिंह, प्रवेश कुमार, बैजनाथ, रनवीर सिंह, विजय, दीपक, जगदीश सिंह ने दायर किया था।
पत्रिका ने लगातार उठाया मुद्दा गौरतलब रहे कि पत्रिका ने शहर की कॉलोनियों में हो रहे जलभराव और सीवरेज के गंदे पानी के सडक़ पर बहने के मामले को गंभीरता से उठाया। पत्रिका ने 7 दिसम्बर को प्रमुखता से ‘जनरेटर से पानी फेंकने का 141 दिन में 35 लाख रुपए खर्च कर दिए’ तथा 7 जनवरी 2025 के अंक में ‘गुहार लगा लगा सूखे गले, अब सुनवाई भी नहीं’ खबर प्रकाशित की। इसी तरह पत्रिका ने गत 8 नवम्बर के अंक में ‘स्कूल वैन पलटने से बची, बच्चों को लोगों ने निकाला’ तथा 14 नवम्बर 2024 के अंक में ‘समस्या हल का वादा डेढ़ माह बाद भी अधूरा’ खबर प्रकाशित की। बहस के दौरान पत्रिका की खबरों का भी उल्लेख किया गया