क्या हैं हालात राजाखेड़ा शहरी क्षेत्र में प्रथम जलदाय योजना लगभग 4 दशक पूर्व स्थापित की गई थी। जो कालांतर में पाइप लाइन ज्यादा गहराई में पहुंच जाने और आधारभूत संरचनाओं के निर्माण से भूतल ऊपर होने से जल वितरण में आ रही परेशानियों के चलते नवीन शहरी पुर्नगठित पेयजल योजना का निर्माण एक वर्ष पूर्व ही पूरा हो गया। नवीन योजना का मुख्य उद्देश्य वितरण व्यवस्था में सुधार करना था, लेकिन स्थानीय अभियंताओं ने वितरण तंत्र में सुधार की जगह वितरण क्षमता बढ़ाने पर ही पूरा फोकस कर दिया और क्षमता को 12 लाख लीटर प्रतिदिन से बढकऱ 22 लाख लीटर तक कर दिया। पर वितरिकाओं का जाल अंदुरूनी क्षेत्र से बदला ही नहीं। जिससे पुरानी जर्जर और खराब लाइन यथावत बनी रहीं, जबकि मुख्य लाइनें बदल जाने से प्रेशर बढ़ा तो पुरानी लाइन फटने लगीं। जिससे अव्यवस्था हुई तो आनन फानन में अतिरिक्त बजट की व्यवस्था कर लाइन बदलने का कार्य तो शुरू किया लेकिन असफल रहा और आज भी अनेक स्थान क्षमता दोगुनी होने के बाद भी पेयजल के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
अवैध कनेक्शन भी बने लाइलाज बीमारी पुरानी वितरिकाओं के साथ ही नवीन लाइन में भी 6000 से अधिक अवैध कनेक्शन भी अधिकारियों व कर्मचारियों की विफलता से अब लाइलाज हो चुके हैं। जो वितरण व्यवस्था को पूर्ण विफलता की ओर ले जा रहे हैं। उसके बाद भी विभाग की इनके प्रति मित्रवत व्यवहार योजना के औचित्य पर ही सवाल खड़े कर रहा है।
नहीं मिटे डेड एंड पुरानी योजना में बड़ी संख्या में डेड एंड वितरण सोर्स से दूर स्थान जहां पानी नहीं पहुंच पाता थे, जिन्हें दूर करना योजना का मुख्य उद्देश्य था। लेकिन 13 करोड़ की भारी लागत के बाद भी हजारों अवैध कनेक्शनों के चलते डेड एंड जस के तस हैं। जब क्षमता दोगुनी हो गई उपभोक्ता भी उतने ही हैं फिर 10 लाख लीटर अतिरिक्त उत्पादित पेयजल आखिर कहां जा रहा है यह सवाल लोग उठा रहे हैं। मुख्य बाजार में पुराना गल्र्स स्कूल की गली के निवासियों के अनुसार दो बार लाइन बदल दी गई पर पानी नहीं आया। अधिकारी जवाब तक नहीं देते। यही हालात वार्ड 29 में हैं।
दो वर्ष से विधिक सेवा प्राधिकरण में विभाग के अधिकारी गुणवत्तापूर्ण पेयजल की उपलब्धता का वायदा कर चुके हैं पर नहीं मिला। ये न्यायालय को भी गुमराह कर रहे हैं। सुरेश चंद, नागरिक
नाली में से पाइप डाला गया है जो रोज टूट जाता है। इसका गंदा पानी ही पीना मजबूरी बन चुका है। ऐसी केसी स्कीम है जिसमें जमीन पर पाइप डाले गए हो। विष्णु बैरागी, नागरिक
लगता है धौलपुर में प्रशासन का तंत्र है ही नहीं जो इस विभाग को नियंत्रित कर सके। हमें तो पता नहीं पानी मिल पाएगा कि नहीं। सत्यम, नागरिक