– निजी अस्पतालों से एंबुलेंस का खूब फैला कमीशन का खेल धौलपुर. निजी एंबुलेंस का जिला अस्पताल के आसपास कब्जा जम गया है। जिला अस्पताल एवं अन्य निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को इलाज के लिए बाहर भेजने के लिए 108 एंबुलेंस के अलावा 104 सरकारी एंबुलेंस भी मौजूद रहती हैं। इसके बावजूद एंबुलेंस माफिया से साठगांठ के कारण सरकारी एंबुलेंस मरीजों को नहीं मिल पाती। इसी साठगांठ का नतीजा है कि जिले में तेजी से निजी एंबुलेंस संचालित करने का कारोबार फलफूल रहा है।
जिले के सबसे बड़े अस्पताल जिला अस्पताल और जनाना अस्पताल के गेट के बाहर निजी एंबुलेंस का काफिला हमेशा ही मौजूद रहता है। रात में यह एंबुलेंस संचालक अस्पताल में भी प्रवेश कर जाते है। जो अस्पताल से रेफर मरीजों की सूचना मिलते ही उन मरीजों के परिजनों से मनमाने रुपए लेकर मरीजों को दूसरे स्थान पर ले जाते है। परिवहन विभाग के यहां लगभग 250 एंबुलेंस के रजिस्टे्रशन है, जो जिले में दौड़ रही है। इन निजी एंबुलेंस का कारोबार धड़ल्ले से खूब फलफूल रहा है। सिर्फ धौलपुर शहर में ही 55 से अधिक निजी एंबुलेंस दौड़ाई जा रही है। एंबुलेंस संचालक मरीजों से मौके का फायदा उठाकर मनमानी फीस वसूलते हैं। मरीज के परिजनों से चिकित्सा सुविधाएं, उपकरण, डॉक्टर, कंपाउंडर उपलब्ध कराने तक का दावा करते हैं लेकिन असल में इन गाडिय़ों में मौजूद चिकित्सा सेवाएं गैर पंजीकृत होती हैं। दूसरी तरफ सरकारी एंबुलेंस जिले में लगभग 29 संचालित हो रही है। जिसमें 108 की 12 एंबुलेंस और 104 नम्बर की 17 एंबुलेंस संचालित हो रही है। जिले सहित ब्लाक अस्पतालों में तैनात की गई है।
कमीशन का नेटवर्क निजी एंबुलेंस का अस्पताल संचालकों से खूब सांठगांठ बन रही है। शहर के निजी अस्पताल संचालकों से भी कमीशन के जरिए मरीज भर्ती करने का सिलसिला चल रहा है। दूसरी तरफ जिले से हर महीने करीब 110-130 मरीज इलाज के लिए आगरा रेफर किए जाते हैं। आगरा में नर्सिंग होम और एंबुलेंस वालों के बीच कमीशनबाजी का बड़ा खेल चल रहा है। एंबुलेंस वाले 25 फीसदी कमीशन लेकर आगरा के निजी अस्पतालों में मरीज पहुंचा रहे हैं। यह लोग रास्ते में मरीज और उनके घर वालों को एक ऐसा डाक्टर सुझाते हैं जिससे उनकी सेटिंग होती है।
सरकारी अस्पताल के आसपास निजी एंबुलेंस खड़ी नहीं हो सकती, इसकी जानकारी करते है।, शिकायत मिलती है तो आगे कार्रवाई करेंगे। – डॉ. चेतराम मीणा, डिप्टी सीएमएचओ धौलपुर