कब है योगेश्वर द्वादशी (Kab Hai Yogeshwar Dwadashi)
पंचांग के अनुसार योगेश्वर द्वादशी कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर मनाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इससे विशेष आशीर्वाद मिलता है। इस साल योगेश्वर द्वादशी व्रत 13 नवंबर को है।
योगेश्वर द्वादशी का महत्व (Yogeshwar Dwadashi Ka Mahtva)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु को समर्पित कार्तिक महीने की द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की व्रत और पूजा करने से सभी पाप नष्ट होते हैं। साथ ही मनुष्य को धन, स्वास्थ्य और वैभव की प्राप्ति होती है। योगेश्वर द्वादशी मनाने की वजह (Yogeshwar Dwadashi Manane Ki Vajah)
योगेश्वर द्वादशी व्रत और पूजा के लिए कई कारण बताए जाते हैं। आइये जानते हैं कुछ प्रमुख मान्यताएं ..
- एक मान्यता के अनुसार वृंदावन में तुलसीजी विराजित हैं। इसलिए योगेश्वर द्वादशी के दिन भगवान विष्णु, लक्ष्मी जी और ब्रह्मा जी सहित वृंदावन में पधारते हैं। इस कारण इस दिन को योगेश्वर द्वादशी के रूप में सेलिब्रेट करते हैं।
- एक अन्य मान्यता के अनुसार श्री हरि विष्णु का शालिग्राम रूप में माता तुलसी के साथ इसी दिन विवाह हुआ था और भगवान ने इसी तिथि पर तुलसी के पौधे में अपना निवास स्वीकार किया था। इस कारण देवलोक में उत्सव हुए थे। इससे इस दिन योगेश्वर द्वादशी मनाई जाने लगी।
योगेश्वर द्वादशी पूजा विधि (Yogeshwar Dwadashi Puja)
- इस दिन स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और तुलसी जी और आंवले के वृक्ष के आसपास की सफाई करें। वहां थोड़ा गंगाजल छिड़क कर उस स्थान को स्वच्छ करें।
- तुलसी जी को स्वच्छ स्थान पर रखें, तुलसी जी को वस्त्र पहनाएं, उनका श्रृंगार करें, उन्हें रोली, चावल, फल, फूल, फूल माला आदि सामग्री अर्पित करें।
- भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी का मन ही मन ध्यान करके तुलसी जी की पूजा करें। तुलसी जी से जुड़े गीत गाकर उनका आह्वान करें।
- तुलसी जी को दीप दान करें, अब उनकी आरती करें और भोग लगाएं, फिर उस प्रसाद को सभी में बांट दें।
- अंत में आंवले के वृक्ष का भी रोली, मौली, चावल, फल, फूल, मिठाई आदि से पूजन करें और दीपदान करें।
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