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Tulsi Puja- एकादशी और रविवार को तुलसी पर नहीं चढ़ाया जाता जल, ये हैं कारण

Tulsi Plant Astrology: तुलसी पर जल अर्पित करने से घर में सकारात्मकता आती है। वहीं तुलसी पर जल चढ़ाने के कुछ खास नियम होते हैं। इसके तहत रविवार और एकादशी के दिन तुलसी में जल नहीं देना चाहिए।

Nov 12, 2022 / 11:48 am

दीपेश तिवारी

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Tulsi Puja Niyam: हिंदू धर्म में पेड़ों पौधों को जल देना काफी अच्छा व पूण्य का कार्य माना गया है। इसमें भी तुलसी (Tulsi) का पौधा जिसे धर्मशास्त्र में अत्यंत पवित्र व पूजनीय माना गया है, उसे जल देना तो बेहद शुभ माना जाता है। अत्यंत पवित्र होने के चले ही लगभग हर घर में तुलसी (Tulsi) का पौधा अवश्य लगाया जाता है।

हिंदू धर्मशास्त्रों में तुलसी जी (Tulsi Puja) को देवी माना गया है। मान्यता के अनुसार तुलसी का पौधा जिस किसी घर में होता है वहां देवों की कृपा बनी रहती है। धार्मिक दृष्टि से तुलसी (Tulsi Puja) की पौधे की नियमित रूप से पूजा आपके भाग्य में वृद्धि के साथ ही देवों का विशेष आशीर्वाद (Tulsi Puja) भी प्रदान करती है। इसी के चलते तुलसी के पौधों पर जल चढ़ाने भी विशेष माना गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रविवार और एकादशी के दिन तुलसी (Tulsi) को जल देना वर्जित माना गया है। तो चलिए जानते हैं इसका धार्मिक कारण…

तुलसी जी में जल एकादशी को वर्जित
एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ने और इस दिन तुलसी (Tulsi Puja) में जल चढ़ाना दोनों ही वर्जित कार्य माने गए हैं। दरअसल इसका कारण ये है कि देवउठानी एकादशी के दिन माता तुलसी (Tulsi) का विवाह भगवान शालिग्राम के साथ कराने की परंपरा है, ऐसे में मान्यता ये है कि देवी तुलसी (Tulsi Puja) हर एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु के लिए निर्जल व्रत करती हैं, इसलिए एकादशी के दिन भी तुलसी में जल अर्पित करने व उनके पत्ते तोड़ने की मनाही है।

तुलसी जी में जल रविवार को वर्जित
तुलसी जी को वैसे तो नियमित रूप से जल अर्पित (Tulsi Puja) करना काफी शुभ माना जाता है, लेकिन शास्त्रों के मुताबिक रविवार को तुलसी पर जल चढ़ाना वर्जित है। इस संबंध में पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी जी रविवार के दिन भगवान विष्णु जी के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। ऐसे में रविवार के दिन उन्हें जल चढ़ाने से उनका व्रत खंडित हो जाता है, इसलिए रविवार को तुलसीजी (Tulsi) को जल अर्पित नहीं करना चाहिए। यह भी माना जाता है कि रविवार के दिन तुलसी के पौधे में जल चढ़ाने से नकारात्मक शक्तियों का वास होता है।

तुलसी (Tulsi Puja) पत्ते तोड़ने के नियम…
: एकादशी का दिन भगवान विष्णु जी की पूजा के लिए समर्पित होता है। भगवान विष्णु को तुलसी (Tulsi) अत्यंत प्रिय है, अत: इसके बिना विष्णु जी की कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है। लेकिन एकादशी को तुलसी पत्ते (Tulsi Puja) वर्जित है, ऐसे में एकादशी के दिन चढ़ाने के लिए आप एक दिन पहले दशमी तिथि को ही तुलसी पत्ते तोड़कर रखें।

: गंगाजल के समान तुलसी (Tulsi Puja) की पत्तियां भी बासी नहीं मानी जाती हैं और पवित्र रहती हैं।

: मान्यता के अनुसार एकादशी के साथ ही रविवार, चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के दिन भी तुलसी (Tulsi) के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। माना जाता है कि इन दिनों में तोड़े गए तुलसी की पत्तियों से पूजा (Tulsi Puja) का फल प्राप्त नहीं होता।

: सूर्यास्त के बाद कभी भी तुलसी (Tulsi) के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। माना जाता है कि सूर्यास्त के बाद तुलसी के पत्ते तोड़ने से घर में दुर्भाग्य आता है।

तुलसी का पौधा हिंदू शास्त्रों में पूजनीय (Tulsi Puja) माना गया है, ऐसे में इसकी पत्तियां तोड़ते समय विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक माना गया है। शास्त्रों के अनुसार तुलसी (Tulsi) के पत्ते तोड़ने से पहले हाथ जोड़कर प्रार्थना करनी चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि पत्तियों को नाखून की सहायता से न तोड़ें।

तुलसी (Tulsi Puja) के पत्ते तोड़ने से पहले ये तीन मंत्र अवश्य बोलें…

– ॐ सुभद्राय नम:।
– ॐ सुप्रभाय नम:।
– मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी
नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते।।

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