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Ganga Snan: मौनी अमावस्या पर करने जा रहे हैं गंगा स्नान तो इस स्तोत्र का करें पाठ, पितृ दोष से मिल सकती है मुक्ति

Ganga Snan: मौनी अमावस्या के दिन गंगा में स्नान करना पुण्यफल प्रदान करता है। मान्यता है कि इस शुभ दिन पर गंगा का जल अमृतमयी होता है। साथ ही यह दिन पितरों के तर्पण कि लिए शुभ होता है।

जयपुरJan 28, 2025 / 10:23 am

Sachin Kumar

Ganga Snan

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Ganga Snan: मौनी अमावस्या हिंदू धर्म में एक विशेष पर्व है, जिसमें गंगा स्नान का महत्व अत्यधिक है। यह दिन आत्मा की शुद्धि, मन की शांति और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान करने से न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है। इस दिन कुछ विशेष स्तोत्र का पाठ करने से दोषों का निवारण होता है।
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मौनी अमावस्या का महत्व

मौनी अमावस्या माघ माह में आती है और इसे आध्यात्मिक जागरण का पर्व माना जाता है। इस दिन मौन रहकर पूजा-पाठ और गंगा स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। गंगा स्नान को पवित्रता और मोक्ष प्राप्ति का साधन माना गया है। मौन रहने से आत्मा और मन को शांति मिलती है, और साधक अपने भीतर की ऊर्जा को जागृत कर पाता है।
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पितृ दोष से मुक्ति का उपाय

पितृ दोष को हिंदू धर्म में एक बड़ा दोष माना गया है। यह तब उत्पन्न होता है जब हमारे पूर्वजों की आत्मा को शांति नहीं मिल पाती। मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान करते समय पितृ स्तोत्र का पाठ करने से इस दोष से छुटकारा पाया जा सकता है। पितृ स्तोत्र के पाठ से हमारे पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद हमें मिलता है।
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पितृ स्तोत्र का पाठ

अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम्
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्

इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान्

मन्वादीनां मुनीन्द्राणां सूर्याचन्द्रमसोस्तथा
तान् नमस्याम्यहं सर्वान् पितृनप्सूदधावपि

नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि:
देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान्
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येsहं कृताञ्जलि:

प्रजापते: कश्यपाय सोमाय वरुणाय च
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि:

नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे

सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम्

अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम्
अग्नीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत:
ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्निमूर्तय:
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण:

तेभ्योsखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतमानस:
नमो नमो नमस्ते मे प्रसीदन्तु स्वधाभुज:

इन मंत्रों के साथ गंगा जल में तर्पण करें और अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें। यह मंत्र केवल दोषों का निवारण ही नहीं करता, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और सुख-समृद्धि भी लाता है।
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गंगा स्नान की विधि

प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। स्नान के बाद गंगा किनारे या किसी पवित्र नदी में जाकर जल में तर्पण करें। ॐ नमः शिवाय और ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्रों का जाप करें। मौन व्रत का पालन करें और ध्यान-योग करें।

पितृ दोष से मुक्ति

मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान, दान, और पितृ स्तोत्र का पाठ पितरों को शांति देने का सबसे सरल उपाय है। यह दिन आत्मा की शुद्धि और पितृ दोष से मुक्ति के लिए समर्पित है। इसलिए, इस शुभ अवसर पर गंगा स्नान और पितरों के लिए प्रार्थना अवश्य करें।
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डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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