दरअसल, यह परंपरा आज की नहीं है, बहुत ही प्राचीन परंपरा है। यह उस वक्त की बात है जब केवल तांबे के सिक्कों का प्रचलन था। माना जाता है कि तांबे के पात्र का पानी पीना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक है। आज भी हमलोग कई घरों में देखते हैं कि तांबे के पात्र में पानी रखे रहते हैं और लोग उसी का सेवन करते हैं।
प्राचीन काल में आज की तरह घर-घर नल और कल नहीं था। पहले लोगों के लिए पानी का मुख्य स्त्रोत तालाब या नदी ही होता था। सभी लोग नदी या तालाब के ही जल पीते थे। यही कारण था कि वे लोग नदी में सिक्के डालते थे। माना जाता है कि पानी में यदी तांबे की वस्तु डाली जाती है तो वह अशुद्धियों को दूर कर उसे शुद्ध करता है, साथ ही पानी को दूषित होने से भी बचाता है।
ज्योतिष शास्त्र की बात की जाए तो अगर कोई व्यक्ति नदी या तालाब में सिक्का डालता है तो उसे ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है। शास्त्र के अनुसार, अगर कोई चांदी का सिक्का प्रवाहित करता है तो उसका शुद्र दोष खत्म हो जाता है।