कई जगहों पर लोगों को होगा बड़ा लाभ
ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्बावाला ने बताया कि कुछ स्थानों पर संचार माध्यमों के द्वारा अत्यधिक नकारात्मक विषय वस्तु को बताया जा रहा है। हालांकि इस विषय पर अगर बात करें तो युग- युगादिन काल गणना अलग-अलग प्रकार से उसकी व्याख्या करती है वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय- राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक परिवर्तन दिखाई दे रहे हैं। इन परिवर्तनों का कुछ जगह विरोध होगा और कुछ जगह सहयोग होगा। यह एक सामान्य प्रक्रिया है, कुछ लोगों को इसका बड़ा लाभ होगा , ग्रहों के अनुसार देखें तो मूल त्रिकोण और केंद्र के संबंध का सहयोग मिलेगा। बहुत सारे सकारात्मक परिवर्तन दिखाई देंगे। ये भी पढ़ेंः Kaal Yoga: 17 साल बाद फिर लगा अमंगलकारी विश्वघस्त्र पक्ष, मां महाकाली करती हैं ऐसा काम हर 15 वर्ष में 1-2 बार बनती है ऐसी स्थिति
गणितीय सिद्धांत के आधार की बात करें तो 13 दिन के पक्ष काल पर स्थिति बनती रहती है, कभी-कभी यह 2 वर्ष निरंतर होती है, कभी यह 9 वर्ष में आती है, वह कभी 15 वर्ष के दौरान दो बार आती है। इसलिए इसका क्रम बनता रहेगा आगे भी।
पृथ्वी का परिक्रमा पथ भी एक कारण
एस्ट्रानोमिकल साइंस की हम बात करें तो पृथ्वी का घुर्णन अक्ष और परिक्रमा पथ का जो अंतर है वह अंतर भी इस स्थिति को स्पष्ट करता है, हालांकि यह बहुत बारीक सिद्धांत है। ये भी पढ़ेंः Devshayani Ekadashi 2024: इस डेट को सो जाएंगे देव, बंद हो जाएंगे मांगलिक कार्य, जानें कब है देवशयनी एकादशी, किन शुभ योग में रखा जाएगा व्रत दुनिया में सामाजिक आर्थिक परिवर्तन होगा
आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष के प्रतिपदा के क्षय होने से और लग्न की स्थिति व पंचम नवम की स्थिति को व केंद्र की स्थिति को देखते हुए गणना करें तो प्रशासनिक सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन होंगे और यह परिवर्तन सामाजिक राजनीतिक आर्थिक संतुलन के लिए एक विशेष सोपान तैयार करेंगे।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र के गणितीय सिद्धांत की गणना के अनुसार देखे तो बहुत सारे सिद्धांत ऋतु काल से एवं ग्रहों के संचरण से भी जुड़े हुए हैं सामान्य भाषा में 365 दिन के वर्ष की गणना से हम इसकी गणना करते हैं किंतु चांद्र मास और सूर्य मास में कहीं-कहीं 11 दिन का अंतर अर्थात 354 दिन चंद्रमास के माने जाते हैं यह एक अलग प्रक्रिया है परंतु जब अधिक मास पड़ता है तब यह 13 महीना का अर्थात लगभग 384 दिन का हो जाता है क्षय मास पड़ने पर दिनों की संख्या कम हो जाती है।
विश्व में आएंगे क्रांतिकारी बदलाव
अधिक मास और क्षय मास दोनों की गणना तिथि के घटने और बढ़ने से होती है, कभी-कभी एक पक्ष में दो तिथियों का और कभी-कभी तीन तिथियों का क्रम प्रभावित होता है जिससे यह स्थिति बनती है। ग्रह गोचर की मान्यता के अनुसार देखें तो वर्तमान में शनि कुंभ राशि पर और राहु मीन राशि पर गोचरस्थ है द्विर्द्वादश योग की यह स्थिति दक्षिण पश्चिम दिशा के राष्ट्रों एवं भारतीय प्रांतों में अलग प्रकार से राजनीतिक व सामाजिक परिवर्तन की स्थिति को बता रहा है हालांकि यह घटनाक्रम भी पूर्व राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय राजनीति में दिखाई दिए गए हैं और आगे भी यह दिखाई देंगे क्षय मास क्षय पक्ष में सिद्धांतों की ओर नई परिस्थितियों को आगे बढ़ाते हैं यह क्रांतिकारी परिवर्तन का भी संकेत है कुछ स्थानों पर राजनीतिक अस्थिरता एवं आंतरिक वैचारिक भिन्नता दलीय राजनीति की दिखाई देगी। 5 जुलाई आषाढी अमावस्या 6 जुलाई गुप्त नवरात्रि का आरंभ 7 जूलाई जगदीश रथ यात्रा 11 जुलाई स्कंद छठ 13 जुलाई वैवस्वत सप्तमी 15 जुलाई भड्डाली नवमी गुप्त नवरात्रि समाप्त 17 जुलाई देवशयनी एकादशी विष्णु शयन उत्सव चातुर्मास का आरंभ वैष्णो मता अनुसार
19 जुलाई प्रदोष व्रत 21 जुलाई गुरु पूर्णिमा व्यास पूजा मताधिक्य से चातुर्मास का आरंभ