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कहा जाता है कि तीन मुखी रूद्राक्ष में इन त्रिदेवों की दिव्य शक्तियों का वास होता है। तीन मुखी रुद्राक्ष में अग्नि तत्व की प्रधानता है, अग्नि तत्व जो कि पंच तत्वों में भी मुख्य तत्व माना जाता है। अग्नि तत्व की प्रमुखता होने के कारण तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले जातक के विचारों में शुद्धता व स्थिरता आने के साथ अनेक कामनाएं भी पूरी होने लगती है।
सावन मास में सोमवार, अमावस्या या पूर्णिमा तिथि के दिन तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के लाभ
1- सावन मास में तीन मुखी रुद्राक्ष में अग्नि तत्व होने से यह पेट की बिमारियों को भी दूर करता है, पेट की अग्नि मंद होने पर (अजीर्ण की समस्या होने पर ) भोजन समय पर न पचने पर तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से अद्भुत लाभ मिलता है।
2- सावन मास में तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से चेहरे पर दिव्य तेज व शक्ति की प्राप्ति होती है।
3- सावन मास में तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से स्त्री हत्या जैसे पापों से भी मुक्ति मिलती है।
4- सावन मास में इस रुद्राक्ष को धारण करने से आत्मविश्वास बढता है और व्यक्ति को सदैव उर्जावान भी बनाये रखता है।
5- सावन मास में तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मंगल और सूर्य से सम्बंधित दोषों का नाश होता है।
6- जिन जातकों का जन्म लग्न व राशि मेष, वृश्चिक या धनु हो, उनके लिए तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना अति शुभ और लाभकारी होता है।
7- तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से जातक को समाज में मान सम्मान व जीवन में सफलता मिलती है।
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तीन मुखी रुद्राक्ष इस विधि से पूजन करके धारण करें
तीन रुद्राक्ष को सावन मास में सोमवार, अमावस्या या पूर्णिमा तिथि के दिन शिव मंत्र से अभिमंत्रित कर धारण करें।
1- रुद्राक्ष को पहले शुद्ध जल से स्नान कराये
2- फिर पंचामृत (दूध-दही-शहद-घी-गंगाजल) के मिश्रण से स्नान कराने के बाद अंत में गंगाजल से स्नान कराये।
3- घर के पूजा स्थल या किसी शिव मंदिर में गाय के घी का दीपक जलाकर बैठे।
4- अष्टगंध या चंदन से तिलक कर तीन मुखी रूद्राक्ष को पूजास्थल पर लाल कपडा बिछाकर अपने सामने रखें।
5- हाथ में थोडा जल लेकर संकल्प लें– हे त्रिदेव मैं (अपना नाम और गोत्र बोले) भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्ति हेतु व मनवांछित फल की प्राप्ति हेतू इस रुद्राक्ष को अभिमंत्रित कर रहा हूं, यह मेरे कार्यों में मुझे पूर्णता प्रदान करें, ऐसा कहते हुए जल को नीचे जमीन पर छोड़ दें।
6- पूजा करने के बाद इस मंत्र का जप 108 बार करें।
मंत्र- “ॐ क्लीम नमः”
मंत्र जप के बाद त्रिदेवों का ध्यान करते हुए दीपक की लौं के ऊपर से रुद्राक्ष को 21 बार घुमाये और मन ही मन ॐ नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए धारण कर लें।
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