इसके बाद शनिदेव ने कहा कि आफ मुझमें ऐसी शक्ति प्रदान करें, जिससे कि मैं लोगों को कर्म के आधार पर दंड दे सकूं। शनिदेव की बात सुनकर शिवजी ने उन्हें दंडाधिकारी नियुक्त कर दिया। उसके बाद से ही शनिदेव लोगों को कर्म के आधार दंड देने लगे। लेकिन क्या आप जानते हैं शनिदेव को भी दंड मिला था।
ये भी पढ़ें- शनि जयंती: रात 12 बजे के बाद जरुर करें ये पाठ,शनि दोषों से जल्द मिलेगी मुक्ति दरअसल, वरदान मिलने के बाद शनिदेव कर्म के आधार पर सभी को सजा देने लगे। जैसे-जैसे समय बीतने लगा शनिदेव को अपनी शक्ति पर घमंड होने लगा। पौराणिक कथा के अनुसार, एक दिन शनिदेव भ्रमण पर निकले तो उन्होंने देखा कि लंका जाने वाला सेतु पर ध्यानमग्न हैं। इसके शनिदेव हनुमान जी का ध्यान हटाने की कोशिश की लेकिन हनुमान जी को कोई फर्क नहीं पड़ा।
इसके बाद हनुमान जी ने शनिदेव को मना भी किया लेकिन वे नहीं माने। इसके बाद शनिदेव ने हनुमान जी युद्ध की चुनौती भी दे डाली। पहले तो हनुमान जी युद्ध करने से मना कर दिया। इसके बावजूद शनिदेव युद्ध के लिए चुनौती देते रहे। कथा के अनुसार, मजबूर होकर हनुमान जी ने शनिदेव के साथ युद्ध किया और पूंछ में बांधकर शनिदेव की खूब पिटाई की।
ये भी पढ़ें- शनि के डर से हाथी बने थे महादेव, शिव के प्रिय सोमवती अमावस्या पर जन्म लेंगे शनिदेव युद्ध में शनिदेव की हार हो गई। कथा के अनुसार, शनिदेव की हालत देखकर हनुमान जी ने उनके शरीर में तेल लगाया, जिसके बाद उनकी पीड़ा खत्म हो गई। बताया जाता है कि तब से ही शनिदेव पर तेल चढ़ाने की परंपरा है