scriptइन तिथियों पर न करें शिवजी का अनुष्ठान, रुद्राभिषेक वर्ना पड़ जाएंगे लेने के देने | Shiv Vas Vichar in rudrabhishek anushthan Sawan Shiv Nivas date rudrabhishek ashubh tithi | Patrika News
धर्म-कर्म

इन तिथियों पर न करें शिवजी का अनुष्ठान, रुद्राभिषेक वर्ना पड़ जाएंगे लेने के देने

Shi Vas Vichar: भगवान शिव का अनुष्ठान या रुद्राभिषेक करने जा रहे हैं तो जरा ठहर जाइये, इसके लिए कुछ बातों को जान लेना बेहद जरूरी है, कई तिथियों पर भोले भंडारी का अनुष्ठान अशुभ फल भी देते हैं। अनजाने में आप कोई गलती तो नहीं करने जा रहे हैं। ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय से जानते हैं इन तिथियों पर क्या सावन में अनुष्ठान और रुद्राभिषेक किया जा सकता है।

भोपालAug 04, 2024 / 01:26 pm

Pravin Pandey

lord shiva

शिव जी की पूजा का महत्व


ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय का कहना है कि किसी भी संकल्पित सकाम अनुष्ठान, रुद्राभिषेक, शिवार्चन, महामृत्युंजय अनुष्ठान से पहले शिव वास (शिवजी का निवास, धर्म ग्रंथों के अनुसार शिवजी पूरे महीने में सात अलग-अलग जगह निवास करते हैं) जरूर देख लेना चाहिए। हालांकि निष्काम पूजा, महाशिवरात्रि, श्रावण माह, तीर्थस्थान या ज्योतिर्लिंग के पास संकल्पित अनुष्ठान से पहले शिव वास देखना जरूरी नहीं होता।

ग्रह नक्षत्रम् ज्योतिष शोध संस्थान प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य वार्ष्णेय के अनुसार किसी कारण से यदि कोई व्यक्ति सावन के बाद अनुष्ठान कराना चाहे तो कुछ तिथियों पर शिवजी के संकल्पित अनुष्ठान करने से बचें वर्ना लेने के देने पड़ सकते हैं।

किस समय कहां रहते हैं शिवजी

आचार्य वार्ष्णेय के अनुसार शिवजी के विशेष अनुष्ठान से पहले शिवजी कहां विराजमान होंगे, वे क्या कर रहे हैं और उनसे प्रार्थना का कौन सा उचित समय है, इसका विचार जरूरी है। क्योंकि इस समय भगवान भोलेनाथ जिस तरह के कार्य कर रहे होते हैं, उसी तरह का फल देते हैं और इस शिव वास का पता लगाने के लिए खास नियम है। ज्योतिषियों के अनुसार शिव वास सूत्र से जाना जा सकता है कि यह समय शिवजी के संकल्पित अनुष्ठान के लिए उचित है या नहीं।
ये भी पढ़ेंः

हरियाली अमावस्या पर राशि अनुसार लगाएं पौधे, पितरों का मिलेगा आशीर्वाद, घर में होगा सुख समृद्धि का वास

शिव वास का नियम

भगवान शिव के निवास का पता लगाने के लिए महर्षि नारद ने शिव वास गणना का शिव वास सूत्र बनाया था। इसके अनुसार शिव वास जानने के लिए पहले तिथि पर ध्यान दें, शुक्ल पक्ष में पहली तिथि से पूर्णिमा तक की तिथि को 1 से 15 तक का मान दें और कृष्ण पक्ष में प्रतिपदा से अमावस्या तक को 16 से 30 मान दें। इसके बाद जिस तिथि के लिए शिव वास देखना है, उसमें दो से गुणा करें, फिर गुणनफल में 5 जोड़ दें और सबसे आखिर में 7 से भाग दे दें। शेष फल जो आएगा उससे शिव वास का पता लगेगा।

तिथिं च द्विगुणी कृत्वा पुनः पञ्च समन्वितम ।
सप्तभिस्तुहरेद्भागम शेषं शिव वास उच्यते ।।

ये भी पढ़ेंः शुभ फल चाहते हैं तो अनुष्ठान के समय जान लीजिए भगवान शिव का निवास


एके कैलाश वासंद्धितीये गौरिनिधौ।।
तृतीये वृषभारूढं चतुर्थे च सभास्थित।

पंचमेभोजने चैव क्रीड़ायान्तुसात्मके शून्येश्मशानके चैव शिववास वास संचयोजयेत।।
कैलाशे लभते सौख्यं गौर्या च सुख सम्पदः । वृषभेऽभीष्ट सिद्धिः स्यात् सभायां संतापकारिणी।
भोजने च भवेत् पीड़ा क्रीडायां कष्टमेव च । श्मशाने मरणं ज्ञेयं फलमेवं विचारयेत्।।

1. यदि शेषफल एक आता है तो शिव वास कैलाश में होगा और इस समय पूजा का फल शुभ फलदायक होगा।
2. यदि शेषफल दो आता है तो शिव वास गौरी पार्श्व में होगा और इसका फल सुख संपदा प्रदान करने वाला होगा।
3. यदि शेषफल तीन आता है तो शिव वास वृषारूढ़ होगा और इसका फल अभीष्ट सिद्धि होगा, लक्ष्मी की प्राप्ति होगी।
4. यदि शेषफल चार आता है तो शिव वास सभा में होगा और इसका फल संताप कारिणी होगा।

5. यदि शेषफल पांच आता है तो शिव वास भोजन पर होगा और इसका फल भक्त के लिए पीड़ादायी हो सकता है।
6. यदि शेषफल छह आता है तो शिव क्रीड़ारत रहेंगे और इससे कष्ट मिल सकता है।
7. यदि शेषफल शून्य आता है तो शिव वास श्मशान में होगा और मृत्यु हो सकता है।
ये भी पढ़ेंः Shiva Vas: शुभ फल चाहते हैं तो अनुष्ठान के समय जान लीजिए भगवान शिव का निवास

इन तिथियों पर अनुष्ठान शुभ

शिव वास गणना नियम के अनुसार शुक्ल पक्ष की द्वितीया, पंचमी, षष्ठी, नवमी, द्वादशी और त्रयोदशी तिथियां और कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, चतुर्थी, पंचमी, अष्टमी, एकादशी, द्वादशी तिथियां शुभ फलदायी हैं। इन तिथियों पर किया गया संकल्पित अनुष्ठान सिद्ध होता है। वहीं निष्काम पूजा, महाशिवरात्रि, श्रावण माह, तीर्थस्थान या ज्योतिर्लिंग में शिव वास देखना जरूरी नहीं होता। उदाहरण के लिए 4 सितंबर को भगवान शिव वृषभारूढ़ रहेंगे, इस दिन अनुष्ठान शुभ फलदायक रहेगा। अभीष्ट सिद्धि होगी। तीन सितंबर को भगवान का वास कैलाश में रहेगा यह तिथि शुभ फलदायक है।

इन तिथियों पर न करें शिवजी का अनुष्ठान

धर्म ग्रंथों के अनुसार शुक्ल पक्ष की पहली, तृतीया, चतुर्थी, सप्तमी, अष्टमी, दशमी. एकादशी, पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष में द्वितीया, तृतीया, षष्ठी, सप्तमी, नवमी, दशमी, चतुर्दशी तिथियों पर शिवजी का संकल्पित अनुष्ठान ठीक नहीं माना जाता है। इन तिथियों में संकल्पित अनुष्ठान से विपरीत फल मिलने से लेने के देने भी पड़ सकते हैं। इसलिए इन तिथियों की जगह शुभ तिथियों पर अनुष्ठान करना चाहिए।
ये भी पढ़ेंः घर पर राशि के अनुसार ऐसे करें शिवजी की पूजा, भोले हो जाएंगे प्रसन्न


कृष्ण पक्ष द्वितीया – सभा- कष्टकारी
कृष्ण पक्ष तृतीया – क्रीड़ा- संतति कष्ट
कृष्ण पक्ष, षष्ठी- भोजन-पीड़ा
कृष्ण पक्ष सप्तमी : दिन बुधवार को शिव का वास श्मशान में है जो कि मृत्यु कारक है

Hindi News / Astrology and Spirituality / Dharma Karma / इन तिथियों पर न करें शिवजी का अनुष्ठान, रुद्राभिषेक वर्ना पड़ जाएंगे लेने के देने

ट्रेंडिंग वीडियो