यही कारण है कि अनादि काल से भारतीय धर्म साधना में निराकार रूप में शिवलिंग की व साकार रूप में शिवमूर्ति की पूजा होती है । भारत मे हिन्दू देवी देवताओं मे सर्वाधिक शिवलिंग है । शिवलिंग को सृष्टि की सर्वव्यापकता का प्रतीक माना जाता है । भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं जो देश के विभिन्न हिस्सों उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम में स्थित हैं, जो महादेव की व्यापकता को प्रकट करते हैं । भोले भंडारी भगवान शिव का महामृत्जुंजय मंत्र पृथ्वी के प्रत्येक प्राणी को दीर्घायु, समृद्धि, शांति, सुख प्रदान करता रहा है और चिरकाल तक करता रहेगा ।
ये हैं भगवान शिव का विराट रूप- इसका करें ध्यान
शिव विराट
1- जटाएं – शिव को अंतरिक्ष का देवता कहते हैं, अतः आकाश उनकी जटा का स्वरूप है, जटाएं वायुमंडल का प्रतीक हैं ।
2- चंद्र – चंद्रमा मन का प्रतीक है, शिव का मन भोला, निर्मल, पवित्र, सशक्त है, उनका विवेक सदा जाग्रत रहता है । शिव का चंद्रमा उज्जवल है ।
3- त्रिनेत्र – शिव को त्रिलोचन भी कहते हैं । शिव के ये तीन नेत्र सत्व, रज, तम तीन गुणों, भूत, वर्तमान, भविष्य, तीन कालों और स्वर्ग, मृत्यु पाताल तीन लोकों का प्रतीक है ।
4- सर्पों की माला – सर्प जैसा क्रूर व हिसंक जीव महाकाल के अधीन है । सर्प तमोगुणी व संहारक वृत्ति का जीव है, जिसे शिव ने अपने अधीन कर रखा है ।
5- त्रिशूल – शिव के हाथ में एक मारक शस्त्र है । त्रिशुल सृष्टि में मानव भौतिक, दैविक, आध्यात्मिक इन तीनों तापों को नष्ट करता है ।
6- डमरू – शिव के एक हाथ में डमरू है जिसे वे तांडव नृत्य करते समय बजाते हैं ।
डमरू का नाद ही ब्रह्म रुप है ।
7- मुंडमाला – शिव के गले में मुंडमाला है जो इस बात का प्रतीक है कि शिव ने मृत्यु को वश में कर रखा है ।
8- वस्त्र – शिव के शरीर पर व्याघ्र चर्म है, व्याघ्र हिंसा व अंहकार का प्रतीक माना जाता है । इसका अर्थ है कि शिव ने हिंसा व अहंकार का दमन कर उसे अपने नियंत्रण में रखा है ।
9- भस्म – शिव के शरीर पर भस्म लगी होती है । शिवलिंग का अभिषेक भी भस्म से करते हैं । भस्म का लेप बताता है कि यह संसार नश्वर है शरीर नश्वरता का प्रतीक है ।
10- वृषभ – शिव का वाहन वृषभ है , वह हमेशा शिव के साथ रहता है । वृषभ का अर्थ है कर्म, महादेव इस चार पैर वाले बैल की सवारी करते है अर्थात् धर्म, अर्थ, काम मोक्ष उनके अधीन है ।
यही हैं देवाधिदेव महादेव शिव का रूप विराट और अनंत रूप । शिव की महिमा अपरम्पार है । शिव में ही सारी सृष्टि समायी हुई है, और जो भी भक्त शिव के इस विराट रूप का ध्यान सच्चे मन से करता हैं उसके जीवन की सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं ।